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मुंबई : : राजेश खन्ना की एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई जिसमें इंटरवेल ही नहीं हुआ. हालांकि दर्शकों के लिए ये फिल्म किसी भी तरह से बोझ नहीं बन पाई. फिल्म में राजेश खन्ना और नंदा ने अपनी अदाकारी से फैंस का दिल जीत लिया था. ये फिल्म कई मायनों में अहम रही. फिल्म की . राजेश खन्ना के करियर की ये तीसरी बड़ी हिट साबित हुई थी.
यश चोपड़ा की अपने भाई बलदेव राज चोपड़ा यानी बी आर चोपड़ा की कंपनी बी आर फिल्म्स के लिए बनाई गई ये आखिरी फिल्म थी फिल्म का नाम था ‘इत्तेफाक’.यश चोपड़ा ने इसी फिल्म के बाद अपनी खुद की कंपनी यशराज फिल्म्स की शुरुआत की थी. राजेश खन्ना को लेकर यश चोपड़ा ने पहली फिल्म ‘दाग’ भी बनाई थी, जो बड़ी हिट साबित हुई थी
महज एक हफ्ते में तैयार की गई थी स्क्रिप्ट
राजेश खन्ना और नंदा स्टारर फिल्म ‘इत्तेफाक’ संयोग से बनी थी. फिल्म में कोई इंटरवल नहीं है.एक घंटा 41 मिनट में बनकर तैयार हुई फिल्म को पूरे स्टोरी डिपार्टमेंट ने बैठकर हफ्ते भर में लिखकर तैयार कर लिया था. अख्तर उल इमान को स्क्रिप्ट मिली तो उन्होंने फटाफट इसके डॉयलॉग लिख डाले और यश चोपड़ा ने ये पूरी फिल्म सिर्फ महज 28 दिन में शूट कर सभी को हैरान कर दिया था.राजेश खन्ना अपने हर किरदार में जान फूंक दिया करते थे.
राजेश खन्ना नहीं थे पहली पसंद
पहले इस फिल्म में शशि कपूर नजर आने वाले थे. लेकिन वह किसी वजह से इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाए. लेकिन जब यश चोपड़ा राजेश खन्ना ने इस फिल्म के लिए हामी दी तो जैसे उनकी मुंहमागी कोई ख्वाहिश पूरी हो गई. राजेश खन्ना ने उन्हें ये वादा भी किया कि वह इस बारे में पैसे की बात नहीं करेंगे और जो भी फिल्म का बजट होगा उसके हिसाब से ही अपनी फीस तय कर लेंगे. 1969 में फिल्म‘इत्तेफाक’‘बंधन’ और ‘आराधना’ के बाद रिलीज हुई और राजेश खन्ना की हिट फिल्मों की पहली हैट्रिक की तीसरी फिल्म साबित हुई.
बता दें कि जिस तरह राजेश खन्ना इस फिल्म के लिए मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे, ठीक उसी तरह फिल्म की हीरोइन नंदा भी इस फिल्म के लिए मेकर्स की पहली पसंद नहीं थी. उनसे पहले इस फिल्म के लिए दो और एक्ट्रेस को अप्रोच किया गया था. लेकिन बात नहीं बन पाई तो नंदा की झोली में ये फिल्म आई और फिल्म सफल साबित हुई. राजेश खन्ना और नंदा की जोड़ी को भी फिल्म में काफी पसंद किया गया था
राजेश खन्ना और नंदा स्टारर यह फिल्म यश चोपड़ा के करियर का टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई थी. यह फिल्म अपने आप में खास थी. इसमें एक भी गाने नहीं थे. यह पहली फिल्म थी जिसमें कोई इंटरवल नहीं था. इसे 38 दिनों में शूट किया गया था. लेकिन यह 3 महीने बाद रिलीज हुई थीवैसे 1969 की इत्तेफाक भी हॉलीवुड फिल्म साइनपोस्ट टू मर्डर (1964) का रीमेक थी. यह फिल्म भी गुजराती ड्रामा धाम्मस से प्रेरित थी.
मेकर्स राजेश खन्ना के रोल के लिए पहले शशि कपूर को लेना चाहते थे. लेकिन वह अपनी फिल्म अभिनेत्री को लेकर बिजी थे. जिसके चलते वह इसे नहीं कर पाए. फिल्म की हीरोइन नंदा भी मेकर्स की पहली पसंद नहीं थीं. वह तीसरी हीरोइन थीं जिन्हें लीड रोल के लिए अप्रोच किया गया था.
इत्तेफाक को बनाने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. दरअसल, बीआर चोपड़ा उन दिनों फिल्म आदमी और इंसान बना रहे थे. लेकिन हीरोइन शायरा बानो के पैर में चोट लगने की वजह से उन्हें कुछ दिनों के लिए शूटिंग रोकनी पड़ी. इसलिए भारी नुकसान से बचने के लिए यश चोपड़ा ने कम बजट की फिल्म इत्तेफाक बनाने का फैसला किया.
इसमें राजेश खन्ना ने दिलिप रॉय का रोल अदा किया था. जोकि अपनी पत्नी सुषमा की हत्या का दोषी है. वह कहता है कि उसने खून नहीं किया लेकिन सुषमा की बहन रेनू राजेश खन्ना को ही दोषी मानती है. अपने अजीब व्यवहार की वजह से राजेश खन्ना को मेंटल हॉस्पिटल भेजा जाता है. एक दिन वह अस्पताल से भागकर हीरोइन नंदा (रेखा) के घर में घुस जाता है. इससे भी भयानक घटना तब घटती है जब राजेश खन्ना को बाथटब में नंदा के पति (जगमोहन) की लाश मिलती है. बाद में लाश गायब हो जाती है और नंदा कहती हैं कि उनके पति कोलकाता में हैं. अंत में सवाल ये उठता है कि सुषमा और जगमोहन को किसने मारा यह वास्तव में एक असाधारण क्लासिक सस्पेंस फिल्म