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… तो कभी नहीं होती महाभारत.. सुनकर दिमाग हिला देने वाली कथा …

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नई दिल्लीः :  आपको महाभारत की कथा के बारे में तो पता ही होगा। लेकिन महाभारत के हर एक पात्र की अपनी अहम भूमिका है। सभी के जन्म और मृत्यु का कोई न कोई विशेष कारण रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे एक श्राप के कारण पूरी महाभारत की घटना हुई।

राजा शांतनु पिछले जन्म में महाभिष नाम के पुरुष थे। शांतनु की कहानी समझने के लिए महाभिष की कहानी सुनें..

राजा महाभिष ने देख लिए थे गंगा के स्तन…

राजा महाभिष ने इतना पुण्य कमाया था कि वे इंद्र के स्वर्ग में चले गए। वहाँ उन्होंने गंधर्वों के संगीत पर अप्सराओं के साथ नृत्य किया, मदिरा पी और इच्छा-पूर्ति करने वाले वृक्ष कल्पतरु ने उन्हें वह सब कुछ दिया जो वे चाहते थे। एक दिने महाभिष सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी से मिलने गए, जहां देवी गंगा भी मौजूद थी। तभी तेज हवा चलने लगी और देवी गंगा का पल्लू उड़ गया। सभी देवताओं ने नजरें फेर लीं, लेकिन महाभिष खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने सीधे उनके नंगे स्तनों को देखा लिया। देवी गंगा भी महाभिष की तरफ मोहित हो गई और उन्हें देखने लगी।

ब्रह्मा ने दे दिया था श्राप…

ब्रह्मा इससे क्रोधित हो गए और महाभिष और गंगा को श्राप दे दिया। ब्रह्मा ने महाभिष को पृथ्वी पर लौटने का श्राप दिया और गंगा से मानव जन्म लेकर उनका दिल तोड़ने का श्राप दिया। महाभिष ने हस्तिनापुर के राजा शांतनु के रूप में पुनर्जन्म लिया। देवी गंगा के रूप पर मोहित होकर राजा शांतनु ने उनसे विवाह कर लिया। देवी गंगा ने उनके सामने शर्त रखी कि उनके सभी बच्चों को वे बहा देंगी। इसलिए गंगा ने अपने सात पुत्रों को बहा दिया। भीष्म गंगा के आठवें पुत्र थे। राजा शांतनु ने उन्हें गंगा में बहाने से रोक लिया, पर इसके बदले में गंगा उन्हें छोड़ कर चली गई।

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