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क्या आप जानते हैं स्नान करने का सही वैज्ञानिक तरीका : राजेश खुराना

***जेडीन्यूज़ विज़न ****

आगरा : : आजकल इस भागदौड़ बाली जिंदगी में स्नान करने का सबका अपना-अपना तरीका होता है। कुछ लोग आराम से आनंद पूर्वक नहाते हैं, तो कुछ फटाफट नहा लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत तरीके से नहाना आपको बीमार बहुत बीमार भी बना सकता है।

इस सन्दर्भ में राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक, लेखक, पत्रकार एवं वरिष्ठ समाजसेवी राजेश खुराना ने वैदिक और वैज्ञानिक स्ट्राड़ी और प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी नहाना सभी के लिए जरुरी और काफी महत्वपूर्ण है। यह हमें तरोताजा रखने वाली एक आवश्यक दैनिक क्रिया है। तो आईये हम आपको स्नान करने का सबसे सही वैज्ञानिक तरीका बताते है। आप बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजो पर पानी डालिये , रगड़िये, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनो पर, फिर जांघो पर पानी डालिये और हाथों से मालिश करिये फिर हाथो से पानी लेकर पेट को रगड़िये फिर कंधो पर पानी डालिये उसके बाद फिर अंजुली में पानी लेकर मुँह पर मलिए और धीरे-धीरे मुंह पर डालिए। हाथों से पानी लेकर सिर पर मलिए। सबसे अंत में सिर पर पानी डालिये। इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सिर पर उड़ेलकर भी नहा सकते है। अब आपको कोई खतरा नहीं है। इस प्रक्रिया में केवल एक मिनट लगता है लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है और इस एक मिनट में शरीर की विद्युत प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरो पर डाला गया है। बच्चे को इसी तरीके से नहलाने पर वो बिलकुल कांपता डरता नहीं है। इस प्रक्रिया में शरीर की गर्मी पेशाब के रास्ते बाहर आ जाती है। आप कितनी भी सर्दी में नहाये कभी जुखाम बुखार नहीं होगा। इससे हमारे शरीर की रक्षा होती है। यह छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों के लिये बहुत उपयोगी है।

उन्होंने बताया कि हमारे सिर में मौजूद अत्यंत महीन रक्त नलिकांए सीधा सिर पर ठंडा पानी डालने से सिकुड़ने लगती हैं या सिर में रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं। इसलिए सीधे सिर पर ठंडा पानी न डालें।क्युकी हमारे शरीर में रक्त के निरंतर प्रवाह के कारण गुप्त विद्युत शक्ति पैदा होती रहती है। इसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से शुरू होकर नीचे पैरों तक होती है। हमारे सिर में मौजूद अत्यंत महीन रक्त नलिकांए दिमाग को रक्त पहुंचाती है। ऐसे में अगर कोई अचानक से ही सीधा सिर पर ठंडा पानी डालकर नहाता शुरू कर देता है, तो ये नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं या सिर में रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं। जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता है, तो व्यक्ति को स्ट्रोक आने शुरू हो जाते हैं, बहुत सी स्थितियों में तो हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी आ सकता है। देखा जाता हैं कि जब सीधे सिर पर पानी डाला जाता है तो सिर ठंडा होने लगता है। ऐसे में हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है। बताया जाता हैं कि जिससे कभी – कभी हार्टअटैक या दिमाग की नस फटने की स्थिति भी बन सकती है। वहीं, इस एक मिनट में शरीर की विद्युत, प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे की ओर ही बहती रहती है। क्योंकि विद्युत को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरों पर डाला जाता है। बच्चे को नहाने पर वह कांपता है। अगर बच्चे को इसी तरीके से नहलाया जाए वह भी कांपता नहीं है।

श्री खुराना ने कहा कि क्या आपने कभी अपने आस – पास ध्यान से देखा या सुना है कि नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया? दिमाग की नस फट गई ( ब्रेन हेमरेज), हार्ट अटैक आ गया। छोटे बच्चे को नहलाते समय वो बहुत कांपता रहता है, डरता है और मां समझती है की नहाने से डर रहा है, लेकिन ऐसा नहीँ है। असल मे ये सब गलत तरीके से नहाने से होता है। दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर (खून) के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होते रहती है, जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरो की तरफ आती है। सिर में बहुत महीन रक्त् नालिकाये होती है जो दिमाग को रक्त पहुँचाती है। यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है, तो ये नलिकाएं सिकुड़ने या रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं और जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता तो ऊपर लिखी घटनाएं वर्षो बीतने के बाद बुजुर्गो के साथ होती है। सीधे सर पर पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है, जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या दिमाग की नस फटने की अवस्था हो सकती है। ठीक इसी तरह बच्चे का नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है। जिससे बच्चे के काम्पने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और माँ समझती है की बच्चा डर रहा है लेकिन गलत तरीके से नहाने से बच्चे की हृदय की धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है स्वयं परीक्षण करिये। वहीं, वैदिक और वैज्ञानिक तरीक़े से स्नान करने से हमारे शरीर की रक्षा होती है और यह छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों के लिये बहुत उपयोगी है।

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