*** जेडीन्यूज़ विज़न ***
रायबरेली : : बिजली मीटर में गड़बड़ी करके बड़े उपभोक्ताओं से वसूली करने वाले तीन मीटर रीडर पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। पुलिस के अनुसार पकड़े गए मीटर रीडरों ने दो माह में करीब 100 बड़े उपभोक्ताओं से पांच लाख की वसूली करके पावर कॉर्पोरेशन को चूना लगाया है।
यह सब इलेक्ट्रानिक चिप के जरिए मीटर में छेड़छाड़ करते थे। उपभोक्ता भी मुनाफा देखकर इनके झांसे में आ जाते थे। सदर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करके सभी को जेल भेज दिया गया है।
पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि सदर कोतवाल संजय त्यागी, एसओजी प्रभारी संजय कुमार सिंह ने पुलिस टीम के साथ रविवार को तड़के त्रिपुला चौराहा के पास से तीन मीटर रीडरों को गिरफ्तार किया। इसमें भदोखर थाना क्षेत्र के पीतांबर पोस्ट मेजरगंज गांव निवासी हरीश सिंह, इकोना पोस्ट बेनीकामा निवासी पवन कुमार जायसवाल, चकसिरहरा गांव निवासी ज्ञान प्रकाश को पकड़ा गया है। इन सभी के पास से 106 मीटर, मीटर खराब करने वाली मशीन, 59 विभिन्न कंपनियों की इलेक्ट्रानिक चिप, एक बंडल टेप, विद्युत तार वेल्डिंग हीटर मशीन को बरामद किया गया है। एसपी के मुताबिक यह गैंग करीब दो माह से सक्रिय चल रहा था। बड़े उपभोक्ताओं के प्रतिष्ठानों या फिर घरों में लगे बिजली मीटर में इलेक्ट्रानिक चिप के जरिए छेड़छाड़ करके अवैध तरीके से वसूली का कार्य करते थे। 100 से ज्यादा उपभोक्ताओं के बिजली मीटर में छेड़छाड़ करके लाखों की वसूली की है।
कुछ ऐसे उपभोक्ता थे, जिनसे पकड़े गए मीटर रीडर ज्यादा पैसे की वसूली की बात कर रहे थे, लेकिन वह कम पैसा देने के लिए तैयार थे। बात न बनने पर उपभोक्ताओं ने मीटर रीडरों की सूचना एसपी तक पहुंचा दी। एसपी ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने सदर कोतवाली पुलिस और एसओजी टीम को मीटर रीडरों को पकडऩे के लिए कहा था। इसके बाद मीटर रीडर दबोच लिए गए।
पकड़े गए मीटर रीडर डीह उपखंड कार्यालय में तैनात थे। इलेक्ट्रानिक चिप के जरिए मीटर में गड़बड़़ी कर देते थे। बाद में इस मनमाने कार्य का खुलासा न होने पाए, इसके लिए मीटर रीडर में टेंपरिंग कर जला देते थे। साथ ही विभाग में शिकायत करते थे कि मीटर जल गया है। इसके बाद नया मीटर लगा देते थे। इससे किसी को इस बात की भनक भी नहीं लग पाती थी कि मीटर में गड़बड़ी की गई है।
डीह उपखंड कार्यालय में तैनात मीटर रीडरों की मनमानी का खेल दो माह से ज्यादा समय से चल रहा था। सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी गड़बड़ी होने के बावजूद विभागीय अफसरों को इसकी जानकारी क्यों नहीं हो पाई है। ऐसे में इस खेल के लिए पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारी कम जिम्मेदार नहीं हैं।