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भगवत कथा श्रवण मात्र से पापियों का होता है उद्धार –पंडित हरी लाल शास्त्री ***

जेडी न्यूज़ विजन उत्तर प्रदेश गोंडा ***
तहसील संवाददाता**मनकापुर**

(अमर चंद्र कसौधन)

-कथा प्रसंग में महिलाओं की उमड़ी भारी भीड़ ०००

मनकापुर गोंडा। नगर पंचायत मनकापुर के मोहल्ला जवाहर नगर निवासी रामानंद सोनी के निज आवास पर चारों धाम यात्रा के उपरांत आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण के कथा बाचक हर सिंघंवा चौहान पुर निवासी विद्वान मनीषी पंडित हरी लाल शास्त्री ने श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन श्रोताओं को कथा मंदाकिनी के अमृत सरोवर में रसाबोर कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण कथा श्रवण मात्र से बड़े से बड़ा पापी भी मोक्ष को प्राप्त करता है।

श्रीमद् भागवत कथा की महिमा का बखान करते हुए पं हरिलाल शास्त्री ने कहा कि तुंगभद्रा नदी के तट पर रहने वाले आत्मदेव नाम के ब्राह्मण को कोई सन्तान नहीं थी, जिसको लेकर वो बड़ा दुखी रहा करते था।

उन्होंने अपनी ब्यथा एक महात्मा को बताई तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए एक फल देकर पत्नी धुंधली को सेवन कराने को कहा किन्तु पत्नी ने वो फल स्वयं न खा कर गाय को खिला दिया ।

कुछ समय बाद उस गाय ने मनुष्य के रूप में बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। संतान सुख से वंचित देख धुंधली को उसकी बहन ने अपना पुत्र दे दिया था, जिसका नाम धुंधकारी रखा गया।

दोनों पुत्रों में गोकर्ण तो ज्ञानी पण्डित हुआ लेकिन धुंधकारी महादुष्ट और पापी निकला। उसने पिता की सम्पत्ति नष्ट कर दी, जिससे दुःखी होकर पिता आत्मदेव घर छोड़ जंगल में रहकर प्रभु भक्ति में लीन रहने लगे।

उन्होंने धार्मिक कथाएं सुननी शुरू कर दीं। पत्नी धुंधली घर पर थीं। धुंधकारी अपनी मां को मारता-पीटता और पूछता की धन कहां छिपा रखा है, जिससे तंग आ कर मां धुंधली कुएं में कूद गई।

कुछ समय बाद धुंधकारी की भी मौत हो गई और अपने बुरे कर्मों की वजह से प्रेत बन गया। एक दिन स्वप्न में आकर धुंधकारी ने अपने भाई गौकर्ण को सारी बातें बताई।

भाई गोकर्ण ने धुंधकारी का पिंडदान और श्राद्ध गया जी में कराया ताकि उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उसके बाद भी धुंधकारी को मुक्ति नहीं मिली।

गोकर्ण ने अपने भाई की मुक्ति के लिए सूर्य देव की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न हो कर सूर्य देव दर्शन देकर कारण पूछा तो उन्होंने बताया की धुंधकारी की मुक्ति श्रीमद् भागवत कथा सुनने से ही मुक्ति मिलेगी।

गोकर्ण ने श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया जिसके चलते उसके भाई धुंधकारी का उद्धार हुआ ।

श्री शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से बड़े से बड़ा पापी भी मोक्ष को प्राप्त करता है ।

23 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलने वाली श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के मुख्य यजमान रामानंद सोनी पत्नी स्व0 पूनम सोनी द्वारा अपने पूज्य माता श्री स्वर्गीय चंद्रावती सोनी, पिता श्री स्व0 खददूर सोनी के आत्म – शांति हेतु श्री चारों धाम जी यात्रा के उपरांत आयोजित की गई ।

30 अप्रैल दिन रविवार को दोपहर ब्राह्मण भोज के साथ साय काल 6:00 बजे से समस्त समाज चारों धाम भंडारा एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित है।

श्रीमद् भागवत महापुराण कथा प्रसंग के दौरान नगर क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी ।

भगवत कथा शाम 6:30 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक चलता रहा । तत्पश्चात धूप- दीप आरती की समाप्ति पर सभी भक्तों ने बद्री विशाल भगवान के गगनभेदी जयकारे लगाए । जिससे नगर का वातावरण भक्तिमय हो गया।
अंत में सभी श्रद्धालुओं मैं प्रसाद का वितरण किया गया ।

कथा प्रसंग के दौरान नंदलाल गुप्ता, मोहित सोनी, रोहित सोनी, रुचि गुप्ता ,रामकृपाल सोनी( राहुल), ननकन कसौधन, त्रिवेणी सोनी ,ओम बाबू सोनी, घनश्याम सोनी (नंगू), लव कुश कसौधन, विशाल गुप्ता, छेदीलाल गुप्ता, मनीष गुप्ता ,अमर चंद गुप्ता, कृष्ण गोपाल, आकाश सोनी, बबलू सोनी, राधेश्याम ,समेत सैकड़ों श्रद्धालु भक्त एंव महिलाएं मौजूद रही।

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