हम सत्य और प्रेम की गहराई का अनुभव कब करेंगे? भगवान आज हमें प्यार से इशारा करते हैं और हमें उस भव्य अवसर की याद दिलाते हैं जो हुम साभी के पास है!
मनुष्य का स्वभाव सत्य है; उसे श्वस मूल रूप से प्रेम है; उनका खून मूल रूप से सहनशीलता है। असत्य, द्वेष और गुटबाजी पशु या राक्षसी प्रकृति के लक्षण हैं। वे अज्ञान या लालच से या समाज में दूसरों से प्राप्त किए जाते हैं। आज इंसान दिल से नहीं दिमाग से बना है। चतुराई की सराहना और सराहना की जाती है! लेकिन शांति और खुशी दिल से आती है, दिमाग से नहीं। हृदय करुणा, विस्मय, श्रद्धा, विनम्रता, समभाव और सहानुभूति सिखाता है – ऐसे गुण जो लोगों को प्रेम में बाँधते हैं और उन्हें धर्म और ब्रह्मांड के स्रोत और आधार की ओर मोड़ते हैं, अर्थात् ईश्वर। धन और संपत्ति की खोज हृदय को परम सुख की ओर नहीं ले जा सकती। आप उस अवतार के समकालीन हैं जो आपकी रक्षा और मार्गदर्शन करने आया है, आपके पास संदेश को समझने और उसे जीवन में लाने की क्षमता है। इस अवसर का लाभ उठाएं! भगवान श्री सत्य साईं बाबा जी द्वारा दिव्य प्रवचन
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