Breaking News

क्या अंतर है चैत्र नवरात्रि शारदीय नवरात्रि के बीच…

Jdñews Vision…

साल में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। पहला चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है। इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में आती ​है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, लेकिन उस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है, गृहस्थ और पारिवारिक लोगों के लिए ​सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है। दोनों में ही मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि आज यानी 9 अप्रैल से शुरू हो चुका है। इस मौके पर यहां जानिए आखिर चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि से ​कैसे अलग है।

चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण

कहा जाता है कि जब धरती पर म​हिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया। इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा।

शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण

देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया, चूंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

इन मामलों में भी अलग है चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि

– चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है, जबकि शारदीय नवरात्रि के दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। ये दिन शक्ति स्वरूप माता की आराधना के दिन माने गए हैं। चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है, जबकि शारदीय नवरात्रि का महत्व गुजरात और पश्चिम बंगाल में ज्यादा है। शारदीय नवरात्रि के दौरान बंगाल में शक्ति की आराधना स्वरूप दुर्गा पूजा पर्व मनाया जाता है। वहीं गुजरात में गरबा आदि का आयोजन किया जाता है।

– चैत्र नवरात्रि के अंत में राम नवमी आती है। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था, जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन विजय दशमी पर्व होता है। विजय दशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था और प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए शारदीय नवरात्रि विशुद्ध रूप से शक्ति की आराधना के दिन माने गए हैं।

– मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है। वहीं शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है।

About admin

Check Also

स्थानीय सेंट जोसेफ महिला कॉलेज में अंतर-कॉलेज प्रतियोगिताओं का आयोजन…

Jdnews Vision…. सेंट जोसेफ महिला कॉलेज के गणित विभाग ने विद्यार्थियों को बौद्धिक कौशल और …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *