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प्रकृति के प्रति अपना आभार प्रकट करना क्यों महत्वपूर्ण है? जैसा कि हम दशहरा का त्योहार मनाते हैं, भगवान आज हमें इस महत्वपूर्ण पहलू की याद दिलाते हैं।
पहाड़ मनुष्य को उनसे निकले पत्थर के स्लैब का उपयोग करके घर बनाने में मदद करते हैं। पेड़ घर बनाने के लिए लकड़ी और घरेलू उपयोग के लिए जलाऊ लकड़ी भी प्रदान करते हैं। चेतन प्राणियों में चींटी से लेकर हाथी तक हर प्राणी किसी न किसी रूप में मनुष्य की सहायता करता है। गायें मनुष्य को पौष्टिक दूध प्रदान करती हैं। बैल खेतों की जुताई करने और खाद्य फसल उगाने में मदद करने के लिए उपयोगी होते हैं। पक्षी, मछली, भेड़ और अन्य सभी प्राणी अलग-अलग तरीकों से मनुष्य की सेवा कर रहे हैं। इस दृष्टि से देखने पर यह स्पष्ट हो जायेगा कि सृष्टि की सभी वस्तुएँ मनुष्य को जीवन जीने में सहायक हैं। यह मनुष्य प्रकृति से असंख्य ऋण प्राप्त कर रहा है। लेकिन वह प्रकृति के प्रति किस प्रकार का आभार प्रकट कर रहा है? वह ईश्वर के प्रति क्या कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है? वह उस परमात्मा को भूल रहा है जो सब कुछ प्रदान करने वाला है। यही कारण है कि वह विभिन्न कठिनाइयों और विपत्तियों का शिकार बन जाता है। हालाँकि उसे ईश्वर से अनगिनत उपहार मिल रहे हैं, लेकिन वह प्रकृति या ईश्वर को बदले में कुछ भी नहीं दे रहा है। जब हमें बुराई के बदले भलाई का बदला देने का आदेश दिया गया है, तो भलाई का बदला भलाई से चूकना कितना अशोभनीय है?
बाबा के दिव्य प्रवचन
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