आज का आधुनिक सुविचार
हम अपने दैनिक जीवन में दिव्य माँ की अभिव्यक्तियाँ कहाँ पा सकते हैं? जब हम नवरात्रि के दौरान उनकी पूजा करते हैं तो भगवान हमें प्रेमपूर्वक याद दिलाते हैं!
मातृ प्रेम उस सृष्टिकर्ता के समान है जो अनगिनत तरीकों से इस अनंत ब्रह्मांड को प्रोजेक्ट और संरक्षित करता है। दैनिक जीवन में मातृत्व जिस दिव्य गुण का प्रतिनिधित्व करता है, उसके कई उल्लेखनीय उदाहरण हैं। मनुष्य के शरीर को जीवित रखने के लिए गाय अपने रक्त को पौष्टिक दूध में परिवर्तित करती है। गाय माता के रूप में ईश्वर का प्रथम उदाहरण है। ईश्वर की तरह, पृथ्वी मनुष्य को अपनी गोद में रखती है और कई तरीकों से उसकी देखभाल करती है। अतः पृथ्वी भी माता का स्वरूप है। मानव शरीर में, परमात्मा सभी अंगों में रस के रूप में प्रवाहित होता है और उन्हें बनाए रखता है। इस दिव्य सिद्धांत को रसस्वरूपिणी (दिव्य सार का अवतार) कहा जाता है। भौतिक शरीर में व्याप्त और उसे कायम रखने वाले इन दिव्य सिद्धांतों की भी मातृ देवियों के रूप में पूजा की जानी चाहिए। फिर ऐसे महान ऋषि हुए हैं जिन्होंने अच्छे और बुरे, सही और गलत, क्या मनुष्य को ऊपर उठाता है या उसे नीचा दिखाता है, से संबंधित मामलों की जांच की, और अपने परिश्रम और तपस्या के परिणामस्वरूप, मानव जाति को महान ग्रंथ दिए, जो आध्यात्मिक और सांसारिक मार्गों का संकेत देते हैं और कैसे मानवता अपने अस्तित्व को बचा सकती है। इन ऋषियों को भी दिव्य माताओं के रूप में पूजनीय होना चाहिए।
– बाबा द्वारा दिव्य प्रवचन
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