Jdñews Vision…
तानसेन आ जाओ
धरती अंबर चांद सितारे साथ तुम्हारे गाते,
तानसेन आ जाओ तुमको मेरे गीत बुलाते।
तुम जब मेघ राग गाते थे धरती गगन झूम जाते थे,
लगता जैसे सावन आया बदरा पानी बरसाते थे।
अपनी लय के झूलों पर मेरी मल्हार झुलाते,
तानसेन आ जाओ तुमको मेरे गीत बुलाते।
दीपक राग सुनाया तुमने लपटें उठीं तुम्हारे तन में,
दरबारी जो तुमसे जलते वे भी झुलसे उसी जलन में।
राग बसंत काव्य मधुवन की क्यारी में बो जाते,
तानसेन आ जाओ तुमको मेरे गीत बुलाते।
अपने नौ रत्नों में सबसे अधिक मान देता था,
तन्ना मिश्र नाम था अकबर तानसेन कहता था।
मेरे भावों की बंसी में अपनी लय भर जाते,
तानसेन आ जाओ तुमको मेरे गीत बुलाते।
इच्छा बेहट गांव ग्वालियर की पूरी हो जाए,
जन्म तुम्हारा फिर से उसकी गोदी में हो जाए।
तुम आ जाते तो ये सारे साज स्वयं बज जाते,
तानसेन आ जाओ तुमको मेरे गीत बुलाते।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर