Jdñews Vision….
…….प्रतिशोध…..
भारत जब तुझको कूटेगा,
तभी तेरा पसीना छूटेगा।
तड़पाकर तुझको मारेंगे,
अब बाँध धैर्य का टूटेगा।।
तूने सत्ताइस मारे हैं,
सत्ताईस सौ तो मारेंगे।
तेरी औकात बताएँगे,
सारे अड्डे ही पजारेंगे।।
चैन उसी दिन पाएंगे,
घर में घुसकर मारेंगे।
सिर सालों के फारेंगे,
कभी न हिम्मत हारेंगे।।
तूने जो दुष्कृत्य किया,
उसे भूल नहीं पाएंगे।
बिना पासपोर्ट बीजा के,
नभ की सैर कराएंगे।।
माँ का दूध पिया है,
तो लड़े सामने आकर।
उल्लू के पट्ठे हो साले,
गधी का दूध पिया है।।
डॉ. विश्वम्भर दयाल अवस्थी
“वाचस्पति”
खुर्जा, बुलंदशहर (उ. प्र.)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित रचना