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रीवा हादसे में खत्म हुआ पूरा कुनबा: तीन पीढ़ियां मिट गईं, अंतिम संस्कार करने वाला भी नहीं बचा!

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रीवा ( मध्य प्रदेश) : : गुरुवार को  जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ। सीमेंट से लदा हुआ एक बल्कर ट्रक तेज रफ्तार में अनियंत्रित होकर एक ऑटो पर पलट गया। यह हादसा इतना भीषण था कि ऑटो सवार 7 लोगों की जान चली गई, जबकि 3 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां खत्म

हादसे में मारे गए 7 लोगों में से एक ही परिवार के दादा, मां-बाप और बच्चे शामिल थे। परिजन सदमे में हैं और उन्होंने रोते हुए कहा – “अब तो अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं बचा”। यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं था, यह एक परिवार के पूरे वजूद का अंत था।

घायल अस्पताल में भर्ती, हालत नाजुक

हादसे में घायल तीन अन्य लोग रीवा के अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत बेहद गंभीर है और हर पल खतरे से भरा है।

RTO और ट्रक मालिक की लापरवाही पर सवाल

स्थानीय लोगों और मृतकों के परिजनों ने RTO विभाग और प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि ट्रक की फिटनेस जांच नहीं हुई थी। ओवरलोड ट्रकों की कोई निगरानी नहीं थी। ऑटो पर क्षमता से अधिक सवारी बैठी थी। अगर समय पर नियमों का पालन हुआ होता, तो शायद ये जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।

मृतकों की पहचान

हादसे में जिन 7 लोगों की मौत हुई, उनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. रामजीत जयसवाल (38) – निवासी भमरा, थाना शाहपुर, मऊगंज
  2. पिंकी जयसवाल (35) – रामजीत की पत्नी
  3. अंबिका जयसवाल (65) – पिता
  4. कनिका जयसवाल (10) – बेटी
  5. विवेक जयसवाल (8) – बेटा

और दो अन्य रिश्तेदार, जिनकी पहचान पोस्टमॉर्टम के बाद सामने आई।

हादसे के बाद गांव में सन्नाटा, मातम पसरा

इस हादसे के बाद भमरा गांव में मातम पसरा हुआ है। हर गली, हर घर में सिर्फ सिसकियां और आंसू हैं। लोग कह रहे हैं, “ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा, तीन पीढ़ियां एक साथ चली गईं…”

प्रशासन से इंसाफ की मांग

मृतकों के परिजनों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय नेता और सामाजिक संगठन भी इस दर्दनाक हादसे पर सवाल उठा रहे हैं कि कब तक लापरवाही की कीमत मासूम जिंदगियों से चुकाई जाएगी?

हादसे नहीं, व्यवस्थागत चूक से हो रही हैं मौतें

रीवा का यह हादसा एक चेतावनी है – हमारी सड़कों पर सिर्फ वाहन नहीं पलटते, कभी-कभी पूरा जीवन ही उलट जाता है। अब वक्त है कि शासन-प्रशासन आंखें खोले और उन लापरवाहियों को रोके, जो हर दिन किसी न किसी घर को उजाड़ देती हैं।

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