***जेडीन्यूज़ विज़न ***
-एनसीआरटी की कि बाते जब तक निर्धारित नहीं होंगी चलता रहेगा कमीशन का खेल०००
लखनऊ : :;2023- 24 का नया सत्र शुरू होते ही विद्यालयों की चांदी हो जाती है। कमीशन के चक्कर में स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान या विद्यालय प्रांगण में स्थित दुकान से अभिभावकों को कितने लेनी पड़ती है। इंग्लिश मीडियम के नाम पर विद्यालय महंगी किताबो का बोझ अभिभावको पर डाल रहे है।
इस नए सत्र में राजधानी के दर्जनों विद्यालयों में ऐसा हो रहा है। इंग्लिश मीडियम के प्राइवेट विद्यालयों में बच्चे उन किताबो से अंग्रेजी बोलना भले न सीख पाए लेकिन उन किताबो को खरीदने में अभिभावकों की कमर जरुर झुक जाती है। अभिभावक चाह कर भी शिकायत नहीं कर पाते है। पब्लिशर की माने तो विद्यालयों को चालीस प्रतिशत किताबों पर कमीशन चहिये होता है। दस प्रतिशत कमीशन दुकानदार बेचने पर लेते है। ऐसे हालात में 50 रुपये में बिकने वालीं किताब सौ रुपये में बिकती है। वह बताते है कि कमीशन के चक्कर मे किताब का मूल्य बढ़ाना पड़ता है। अभिभावकों का कहना है कि प्राइवेट विद्यालय सत्र शुरू होने से पहले दुकान निर्धारित कर लेते है कि उन्हें अपने स्कूल की कितांबे कहां से बिक़वानी हैं। वह कक्षा वॉर किताबों का सेट तैयार कर देते है। विद्यालय में पढ़ाई जाने वाली किताबे बाजार के अन्य दुकानों पर नही मिलती है। अगर आपको पूरी किताब न लेनी हो तो आधी किताबे भी नही देते है यह कहकर वापस कर देते हैं है कि सेट खराब हों जाएगा आपको पूरी किताबे ही लेनी होंगी। अभिभावकों की माने तो प्रदेश सरकार को इस कमीशन खोरी पर अंकुश लगाना चाहिए। अभिभावकों का कहना है कि सरकार जहां कक्षा नौ से बारह तक किताबे निर्धारित कर रखी है उसी तरह कक्षा एक से आठ तक भी निर्धारित करके उसका मूल्य भी तय कर दे जिससे विद्यालय महंगी किताबो का बोझ अभिभावकों पर न डाल सके। नही तो विद्यालय कमीशन के खेल में महंगी किताबों का बोझ डालते रहेंगे।