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स्वास्तिक हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने इस तरह मरीज के परिजन से मारपीट की, जिसके बाद आक्रोशित लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया।

***जेडीन्यूज़ विज़न ***

०गणेशदत्त राजू तिवारी की रिपोर्ट०००
मस्तुरीः बिलासपुर के स्वास्तिक अस्पताल में सड़क हादसे में घायल युवक की मौत के बाद जमकर बवाल हुआ। इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर परिजन ने हंगामा मचाया, तो अस्पताल स्टाफ ने उनकी जमकर पिटाई कर दी, जिससे एक परिजन बुरी तरह घायल हो गया। घटना के बाद परिजनों के साथ लोगों की भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया और जमकर हंगामा मचाने लगे। तनाव की स्थिति को देखते हुए अस्पताल पुलिस छावनी बन गया। आधा दर्जन टीआई, पुलिस अफसर और जवान भीड़ को समझाइश देने में जुटे रहे। परिजन अब एफआईआर और मुआवजे की मांग पर अड़ गए हैं। पूरा मामला तोरवा थाना क्षेत्र का है।मस्तूरी थाना क्षेत्र के बकरकुदा निवासी निशु बर्मन (25) सोमवार की शाम सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया। इस पर परिजन उसे लेकर तोरवा चौक स्थित स्वास्तिक हॉस्पिटल पहुंचे। अस्पताल में इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई, जिससे नाराज परिजनों ने इलाज में देरी और लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर हंगामा मचाने लगे। इस दौरान अस्पताल स्टाफ से उनका विवाद हो गया और कर्मचारियों ने मिलकर परिजन उनकी जमकर पिटाई कर दी, जिससे आदित्य बर्मन बुरी तरह से घायल हो गया। उसे इलाज के लिए लाइफ केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अस्पताल स्टाफ की पिटाई से मृतक युवक का चाचा बुरी तरह से घायल हो गया।
अस्पताल स्टाफ की पिटाई से मृतक युवक का चाचा बुरी तरह से घायल हो गया।
परिजन बोले- पैसे जमा किए बगैर नहीं किया इलाज
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पहले उनसे पैसे जमा करने के लिए कहा। उन्होंने इलाज करने की गुहार लगाई। लेकिन उनकी एक नही सुनी गई। इसके कुछ ही देर में डॉक्टरों ने निशु को मृत घोषित कर दिया। इससे माहौल बिगड़ गया। निशु के घरवालों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाना शुरू कर दिया।
अस्पताल प्रबंधन के अड़ियल रवैए से शुरू हुआ विवाद
अस्पताल प्रबंधन के अड़ियल रवैए के चलते विवाद शुरू हुआ। गंभीर रूप से घायल युवक के परिजन इलाज कराने के लिए डॉक्टर और स्टाफ से मिन्नतें करते रहे। लेकिन, किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। एक डॉक्टर ने जांच किया लेकिन इलाज शुरू नहीं किया और दूसरी जगह चले गए। कुछ देर बाद दूसरा डॉक्टर आया, उसने पैसे जमा करने की बात कही। तब परिजन उपचार शुरू करने का आग्रह करने लगे। लेकिन, इसी बीच घायल युवक की मौत हो गई, तब परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा।
अस्पताल स्टाफ ने की जमकर मारपीट, दो परिजन घायल
परिजन के हंगामा मचाने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने पहले निशु के परिजनों को समझाने का प्रयास किया। अस्पताल में हंगामा मचाने से मना करते हुए उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। देखते ही देखते कर्मचारियों ने हाथ-मुक्के और लात घूसों से निशु के चाचा आदित्य बर्मन सहित अन्य की जमकर पिटाई करने लगे, जिससे आदित्य बुरी तरह से घायल हो गया। वहीं एक अन्य परिजन को भी चोंट लगी है।
इस हमले में घायल आदित्य बर्मन ने अपने रिश्तेदार और परिचितों को बुलाया। फिर देखते ही देखते सतनामी समाज के लोगों की भीड़ अस्पताल पहुंच गई। आरोप है कि उन्होंने भी अस्पताल स्टाफ के साथ मारपीट की है। अस्पताल का घेराव और हंगामे की खबर मिलते ही पुलिस की टीम वहां पहुंच गई, तब भीड़ ने हंगामा मचाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की मांग की। इस बीच एएसपी सिटी राजेंद्र जायसवाल के साथ तोरवा, सिटी कोतवाली, सिविल लाइन, सरकंडा, तारबाहर टीआई सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस अफसर भीड़ को समझाइश देने का प्रयास करते रहे। इसके चलते वहां देर रात तक तनाव की स्थिति बनी रही।
तोरवा चौक स्थित स्वास्तिक अस्पताल का घेराव के बाद देर रात चलता रहा हंगामा।
एफआईआर और मुआवजे की मांग पर अड़े लोग
प्रदर्शनकारी मारपीट करने वाले अस्पताल प्रबंधन पर हत्या के प्रयास और एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। भीड़ देर रात तक अस्पताल के बाहर हंगामा मचाती रही। वहीं, मृतक के परिजन को दस लाख रुपए मुआवजा देने की मांग करते रहे।
चक्काजाम की कोशिश, पुलिस ने भी लहराई लाठियां
इस घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने चक्काजाम की भी कोशिश की। पुलिस ने काफी समझाइश देकर मामले को शांत कराने की कोशिश की। इस दौरान अस्पताल में पथराव भी होने लगा। इस बीच भीड़ को नियंत्रित करने पुलिस को भी लाठियां लहरानी पड़ी। पुलिस अफसरों की लगातार समझाइश के बाद भी आक्रोशित भीड़ अस्पताल के बाहर जमी रही।
विवाद और हंगामे के बाद पुलिस जवान और अफसर भीड़ को संभालने की कोशिश करते रहे।
विवाद और हंगामे के बाद पुलिस जवान और अफसर भीड़ को संभालने की कोशिश करते रहे।
०मीडिया के सामने नहीं आया अस्पताल प्रबंधन०००
इस पूरे विवाद और हंगामे पर अस्पताल प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए मीडियाकर्मी जुटे रहे। अस्पताल संचालक डॉ.अभिषेक मिश्रा से बातचीत करने का प्रयास किया गया। लेकिन, वे मीडिया के सामने नहीं आए। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कहा गया कि अस्पताल में क्रिटिकल केस लेने से मना किया गया था। परिजनों से पैसे की मांग नहीं की गई है। घायल युवक की हालत गंभीर थी और इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गई। उनका यह भी आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों से परिजनों ने मारपीट की है।

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