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निकाय चुनाव में बसपा ने झोंकी ताकत, मुस्लिमों को टिकट देने में सपा से निकली आगे ***

***जेडीन्यूज़ विज़न ***

लखनऊ:  :उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए चुनावी बिसात बिछ गई है तथा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व निकाय चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रदर्शन काफी कुछ सियासी संकेत देगा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने ऐसा दांव चला है कि जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और खास तौर पर समाजवादी पाट (सपा) के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। बसपा मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में सपा पर भारी पड़ी है। नगर निगम चुनाव और लोकसभा चुनाव की परिस्थितियां और मुद्दे बिल्कुल अलग-अलग होते हैं, लेकिन जो दल इन चुनावों में बढ़त बनाने में सफल रहेगा वह सियासी ‘माइंड गेम’ के सहारे वोटरों पर काफी हद तक मनोवैज्ञानिक दबाव डालने में सफल रहेगा। वैसे तो कई निकाय चुनावों में भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिलता था, लेकिन इस बार बसपा ने बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की जबर्दस्त तैयारी की है, जबकि एक समय वह भी था जब बसपा निकाय चुनाव अपने सिम्बल तक पर नहीं लड़ती थी, परंतु इस बार उसने निकाय चुनाव में दबदबा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

60 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवारों पर बसपा ने लगाया दांव०००
बसपा ने ऐसा दांव चला है जिसने भाजपा और खास तौर पर सपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। सपा यादव-मुस्लिमों के मजबूत वोट बैंक के सहारे चुनाव लड़ती और जीतती है, लेकिन बसपा इसमें से मुस्लिम वोटों पर अक्सर डोरे डालने में कामयाब हो जाती है। यही काम बसपा इस बार भी जोरशोर से करने जा रही है। बसपा ने प्रथम चरण के चुनाव जो 04 मई को होने हैं इसमें 60 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाकर सपा की राह में कांटे खड़े कर सकती है। बसपा हालांकि इससे इंकार कर रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिमों ने सपा के साथ रह कर देख लिया है उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। इसलिए उनका बसपा की तरफ झुकाव बढ़ रहा है। हाल ही में सम्पन्न लोकसभा के उप-चुनाव में यह बात साबित भी हो चुकी थी। आजमगढ़ में बसपा ने अच्छे खासे मुस्लिम वोट पाए थे, भले ही बसपा जीत नहीं पाई थी, लेकिन सपा को भी हार का सामना करना पड़ा था। जानकार भी कह रहे हैं कि बसपा का समीकरण ही सबसे हिट है। नगर निकाय चुनाव में बसपा ने पहले चरण में महापौर पद के लिए 60 प्रतिशत टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए हैं।

मुस्लिम-दलित समीकरण पर मायवती को भरोषा०००
नामांकन पत्र भरने का सोमवार (17 अप्रैल) को अंतिम दिन था। इस दिन बड़ी संख्या में पर्चे भरे गए। 10 नगर निगमों में महापौर पद के लिए आखिरी दिन 93 उम्मीदवारों ने पर्चे दाखिल किए, जबकि पार्षद पद पर 4,092 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरे। इसके बाद यह साफ हो गया कि बसपा ने बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी मंशा स्पष्ट जता दी है कि वह मुस्लिम-दलित समीकरण पर मजबूती से काम करेंगी। पार्टी को उम्मीद है कि यदि दलित और मुस्लिम वोटर साथ आ गए तो कई सीटों पर बसपा की नैया पार लग सकती है। तमाम सीटों पर मंथन के बाद बसपा ने पहले चरण के नामांकन पत्र भरने के अंतिम दिन महापौर पद के प्रत्याशियों की सूची जारी की।

पहले चरण में दस सीटों पर महापौर पद के लिए चुनाव होगा०००
जानकारों के मुताबिक सूची भले ही 17 अप्रैल को जारी की गई हो, पर इनमें से कुछ उम्मीदवारों ने पहले ही सिंबल लेकर नामांकन पत्र भर दिए थे। पहले चरण में दस सीटों पर महापौर पद के लिए चुनाव होगा। बसपा ने दस में से छह मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारकर अपना गणित साफ कर दिया है। इन छह सीटों पर तो पूरा फोकस दलित -मुस्लिम गठजोड़ पर ही रहने वाला है। बसपा थिंक टैंक की मंशा है मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर उसका और सपा का मुकाबला कड़ा हो जाएं। पिछले चुनाव की बात करें तो उक्त दस नगर निगमों में महापौर पद के लिए हुए चुनाव में बसपा मात्र तीन स्थानों पर ही मुख्य मुकाबले में दिखी थी। केवल आगरा, झांसी और सहारनपुर में बसपा उम्मीदवार पिछले साल दूसरे स्थान पर रहे थे। सात मुकाबलों में बसपा उम्मीदवार सीधी टक्कर में ही नहीं थे। खास तौर पर जिन छह निगमों में इस बार बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं उनमें से चार में पिछली बार बसपा उम्मीदवार टॉप तीन में भी जगह नहीं बना सके थे। फिरोजाबाद, प्रयागराज, मुरादाबाद व वाराणसी में बसपा तीसरे स्थान तक भी ठहर नहीं सकी थी। बसपा के दस निगमों के उम्मीदवारो में आगरा से लता, मथुरा से राजा मोहतासिम अहमद, फिरोजाबाद से रुखसाना बेगम, झांसी से भगवान दास फुले, सहारनपुर से खादिजा मसूद, लखनऊ से शाहीन बानो, वाराणसी से सुभाष चंद्र माझी प्रयागराज से सईद अहमद मुरादाबाद से मोहम्मद यामीन और गोरखपुर से नवल किशोर नाथानी शामिल हैं।

दस में से छह सीटों पर भाजपा ने उतारे सवर्ण उम्मीदवार०००
उधर, भाजपा इस बार भी मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने के लिए आगे नहीं आई। उसके द्वारा जारी लिस्ट में गोरखपुर से डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, प्रयागराज से उमेश चंद्र वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से अशोक तिवारी को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया गया है। फिरोजाबाद से पार्टी ने कामिनी राठौर, आगरा से हेमलता दिवाकर, लखनऊ से सुषमा खरकवाल को उम्मीदवार बनाया गया है। सहारनपुर से डॉ अजय कुमार को, मथुरा-वृन्दावन से विनोद अग्रवाल को, झांसी से चतुर्भज आर्य को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने कई मौजूदा मेयरों के टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाया है और जातीय समीकरण का भी ख्याल रखा है। पार्टी ने दस में से छह उम्मीदवार सवर्ण समुदाय से उतारे हैं तो दलित और ओबीसी को सिफर् उनके लिए आरक्षित सीटों से उतारा है। पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक और शहर के सियासी समीकरण को देखते हुए सवर्ण समुदाय पर ही सबसे बड़ा भरोसा जताया है. बीजेपी ने अपने ज्यादातर मौजूदा मेयरों को टिकट नहीं दिए हैं और उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारा है और संगठन से जुड़े पुराने व वफादार नेताओं को तवज्जो दी है. ऐसे में देखना है कि अब बीजेपी क्या अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाएगी? इससे पहले समाजवादी पार्टी ने लखनऊ सहित आठ जिलों के लिए मेयर पद के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी थी। सपा ने लखनऊ से वंदना मिश्रा को मेयर प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह गोरखपुर से काजल निषाद, प्रयागराज से अजय श्रीवास्तव, झांसी से रघुवीर चौधरी, मेरठ से सीमा प्रधान, शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा, फिरोजाबाद से मशहूर फातिमा और अयोध्या सीट से आशीष पांडेय को मेयर उम्मीदवार बनाया है।

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