जेडीन्यूज विज़न ***
*गणेशदत राजू तिवारी की खास रिपोर्ट*
मस्तुरी: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने घोषणा की थी। बीजेपी ने कहा था कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनते ही किसानों के खाते में दो साल का बोनस दिया जाएगा। सत्ता में काबिज होने के बाद सीएम विष्णुदेव साय ने 18 लाख लोगों को पीएम आवास के लिए मंजूरी दी थी। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा करते हुए कहा था कि 25 दिसंबर को किसानों के खाते में पैसे डाले जाएंगे।
छत्तीसगढ़ के किसानों को धान खरीदी का बोनस मतलब दो साल का एकमुश्त बोनस देंगे।
लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनते ही अपने किए वादे से पीछे हट गया।
किसानो के खाते में सिर्फ एक साल का बोनस दिया गया है। और कितना वादा खिलाफी करेगा भाजपा की सरकार।
नारायणपुर में रहने वाले किसान हीरू बढई पर एक लाख से ज्यादा कर्ज था यह कर्ज कृषि कार्य के लिए लिया था उसे भरोसा था कि सरकार उसका कर्ज माफ करेगी लेकिन ऐसा नही हुआ ।कर्ज के बोझ से उसने अपनी जीवन लिला समाप्त कर लिया। भाजपा सरकार बनते ही अपने किए वादे से मुकर रहा है जिससे न जाने अब आगे कितने किसान आत्महत्या करेंगे छत्तीसगढ़ में न जाने कितने परिवारों का घर ऊजडने वाला है।
समय रहते हि सरकार को अपने वादो पर अमल करना होगा अन्यथा इसका दुष्परिणाम छत्तीसगढ़ के किसानों व जनता को भोगना पड़ता दिखाई दे रहा है।
सरकार बनाने के पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 3100 रूपये प्रति क्विंटल 1 एकड़ में 21 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की थी लेकिन वर्तमान में किसानों को पतले धान पर 2203 रूपये व मोटे धान पर 2183 रूपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर भुगतान किया जा रहा है। लेकिन अपने वादे को भुलाते हुए धान खरीदी जैसे संवेदनशील मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। परिणाम स्वरूप किसानों में बहुत आक्रोश है। दो साल का धान का बोसन 30716 करोड़ देकर बेवकूफ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि प्रदेश में 1 नवम्बर से धान खरीदी प्रारंभ हो गई है। जबकि किसानों को विधानसभा चुनाव के दौरान क्रांग्रेस भाजपा के नेताओं ने 3100 सौ रूपये एवं 3200 सौ रूपये प्रति क्विंटल धान खरीदी का वादा किया था। अब किसान अपने खून पसीने की उपज धान उचित मूल्य मिलने का इंतजार में बैठी है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री किसानों को 3100 सौ रूपये प्रति क्विंटल धान खरीदने में आनाकानि कर रहे हैैैं। जिससे किसान लोग परेशान हैं यदि इसी प्रकार की मनमानी चलता रहा तो छत्तीसगढ़ के किसानों को मुख्यमंत्री का घेराव करना पड़ेगा।