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नोएडा-ग्रेटर नोएडा : : कोरोना काल में फीस न लौटाने पर 100 स्कूलों पर लगा जुर्माना ***

***जेडीन्यूज़ विज़न ***

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के स्कूलों को कोरोना काल में सत्र 2021-22 की 15 प्रतिशत फीस अभिभावकों को वापस नहीं करना बहुत महंगा पड़ गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोरोना काल में सत्र 2021-22 की 15 प्रतिशत फीस अभिभावकों को वापस नहीं करने पर जिलाधिकारी ने हरकत में आते ही बड़ी कारवाई की। जिला शुल्क नियामक समिति ने नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के 100 स्कूलों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया और साथ कहा कि जुर्माना राशि 10 दिन में जमा कराना होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन और DIOS को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए ऐसे स्कूलों की मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई करने के लिए कहा।

कोर्ट के आदेश आने के बाद जिला प्रशासन के हरकत में आने के बाद स्कूलों पर जुर्माना लगाने की प्रकिया शुरू कर दी है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता समिति की ओर से 1 लाख रुपये के जुर्माने की खबर का पता चलते ही एकाएक स्कूलों के प्रबंधको में हड़कंप मच गया और तुरन्त हरकत में आ गए और बुधवार दोपहर बाद तक 81 स्कूलों ने आनन-फानन में जिला शुल्क नियामक समिति को विद्यार्थियों की फीस समायोजित करने या वापस करने की पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी।

स्कूल प्रबंधकों ने समिति के सचिव और जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर को इस बाबत सूचित कर दिया है। जुर्माने के डर की वजह से बुधवार देर शाम तक जानकारी देने वाले स्कूलों की संख्या बढ़ती रही।

बता दें इससे पहले समिति ने कोरोना काल में बढ़ाई गई 15 फीसदी फीस नहीं लौटाने/ समायोजित करने वाले जिले के 100 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के ज्यादातर स्कूल प्रबंधक अपनी मनमानी करते आए हैं। स्कूलों में मनमनाने फीस बढ़ाई जाती रही है। बता दें कि RTE के अंतर्गत पिछले 8 वर्षों से स्कूलों ने अभिभावकों और विद्यार्थियों को गेट से लौटाया जा रहा है।

यही नहीं, कई बार शिक्षा अधिकारियों के कॉल करने के बावजूद भी स्कूल प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करते। इन सबका खामियाजा जरूरतमंद बच्चों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ता रहा है।

एक मामला नोएडा के एपीजे स्कूल का है, जिसने वर्ष 2023 में 35.74 फीसदी फीस बढ़ाने के लिए अभिभावकों को ई-मेल भेजा था। इसकी शिकायत अभिभावकों ने DIOS से की थी। इस पर 31 मार्च को नोटिस भेजा गया था और जवाब मांगा गया था। इसमें स्कूल प्रबंधन ने शिक्षकों के लिए 7वें वेतन आयोग को लागू करने के लिए फीस बढ़ोतरी की बात की थी। समिति ने बिना अनुमति के शुल्क बढ़ाने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की है। जिलाधिकारी ने इस स्कूल पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाने के आदेश दिए हैं।

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर सिंह ने बताया कि कोरोना काल के शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान निजी स्कूलों द्वारा ली गई फीस का 15 फीसदी लौटाने या समायोजित करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। इसी आदेश का पालन कराने के लिए शासनादेश जारी हुआ था। इसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक ने गत 25 फरवरी और आठ अप्रैल को निजी स्कूलों को नोटिस जारी था।

विभाग ने फीस का समायोजन करने या लौटने की स्कूलों से सूचना मांगी थी। इसमें 100 से अधिक स्कूलों ने सूचना भेज दी। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में 24 अप्रैल को जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक हुई थी। इसमें हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अभिभावकों को 15 फीसदी शुल्क समायोजित या वापस न करने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के करीब 100 स्कूलों पर कार्रवाई की गई। स्कूलों पर शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के आदेश का उल्लंघन करने पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि को जमा करने के लिए दस दिन का समय दिया है।

क्या था मामला०००

2020-21 में कोरोना काल के दौरान स्कूलों में 15 प्रतिशत फीस बढ़ा दी थी। मामले में उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी 2023 को दिए आदेश में प्रदेश के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों को 15 प्रतिशत फीस अगले वर्ष में समायोजित करने या स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों के खाते में भेजने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर जिला शुल्क नियामक समिति ने 16 फरवरी तक सभी स्कूलों को 15 प्रतिशत फीस वापस करने के लिए नोटिस दिया था। जिस पर निजी स्कूलों ने कार्रवाई नहीं की। समिति ने दोबारा 25 फरवरी को फीस वापसी का नोटिस देते हुए कार्रवाई की बात कही थी।

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