*** जेडीन्यूज़ विज़न ***
-बरसात, कीट व बीमारी ने किया आम का नुकसान०००
लखनऊ : : इस साल फलों के राजा आम की फसल पर एक तरफ जहां मौसम की मार पड़ रही है वहीं पर कीट एवं बीमारियों ने भी अपना खूब कहर बरपाया । लखनऊ फल पट्टी क्षेत्र के आम उत्पादक गांवा माल, मलिहाबाद, रहीमाबाद, अतरौली, कठवारा, बाजार गांव, बंसीगड़ी के बागों पर आम के फलों पर इल्ली का भीषण प्रकोप देखने को मिल रहा है। दो सप्ताह बाद दशहरी आम बाजारों में आने वाला है, लेकिन उसके पहले ही फसल पर इल्ली कीट, जिसे कैटरपिलर कहते हैं, का भीषण प्रकोप देखने को मिल रहा है।
चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सह आचार्य डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि इस कीट का समय पर किसान अगर पहचान नहीं कर पाए तो भारी नुकसान हो सकता है और आम की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। यह कीट पीले भूरे रंग का होता है इसकी मादाएं जिन्हें पतंगा कहते हैं, वह नुकसान नहीं पहुंचाती, इस कीट की इल्लियां भद्दे भूरे रंग की होती हैं जब यह पूर्ण विकसित होती हैं उस समय यह लगभग तीन से पांच सेंटीमीटर लंबी होती है। इसका सिर गहरे भूरे रंग का होता है यह पेड़ों की छाल में छुपी रहती हैं। यह फलों के छिलके को काटकर गूदे को खाती रहती हैं और अपने मुंह के द्वारा छोटा सा जाला बुनकर अपने शरीर को ढके रहती हैं।
उन्होंने बताया कि अगर आम के बागों के आसपास बेर, अमरुद ,जामुन, लीची एवं शहतूत की बाग होती हैं उन बागों में यह कीट अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस कीट के कैटरपिलर आम के छिलके को बड़ी चाव से खाते हैं और छोटी-छोटी टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगे बनाकर आम के फलों के अंदर घुस जाते हैं। इस कीट की सुड़ियां बहुत तेजी से वृद्धि करती हैं, बताया कि अगर मई के प्रथम पखवाड़े में बरसात हो जाती है तो यह कीट बहुत तेजी से अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर आम के बागों में नुकसान पहुंचाता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से जो घने बाग होते हैं वहां पर इस कीट का भीषण प्रकोप होता है, जिन बागो में इसका प्रकोप हो उनमें साफ-सफाई की अधिक आवश्यकता होती है। जब आम के बागों में एक पेड़ पर दो-तीन कैटरपिलर से ग्रसित फल दिखाई देने लगे तुरंत ही बाजार से क्लोरोपायरीफास 50:ईसी और लेम्डा साईहेलोथ्रिन 5: ईसी की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से इस कीट की समस्या समाप्त हो जाती है। छिड़काव करते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि पूरे पौधे पर सामान रूप से कीटनाशक पहुंच जाए। बताया कि छिड़काव में प्रयोग किया जाने वाला पानी साफ होना चाहिए । तालाब एवं पोखरा में भरे हुए पानी से कीटनाशक का छिड़काव बिल्कुल न करें।
डॉ. सिंह ने बताया कि छिड़काव करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आंखों के ऊपर चश्मा मुंह के ऊपर मास्क बालों के ऊपर टोपी तथा पैरों में जूते एवं हाथों में दस्ताना पहनकर ही छिड़काव करें। कीटनाशक सदैव रजिस्टर्ड दुकान से ही खरीदें और खरीदने के बाद पक्का पर्चा अवश्य प्राप्त कर लें।