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वाराणसी : : नगर की के विवादित ज्ञानवापी मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को परिसर में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दी है।
कार्बन डेटिंग के जरिए कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसपर आज हाईकोर्ट का फैसला आया है।
साइंटिफिक सर्वे से क्या फायदा०००
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ASI को ‘शिवलिंग’ को बिना नुकसान पहुंचाए यह सर्वे करना होगा। साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाना आसान होगा कि जिसे शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है वो वास्तविक में शिवलिंग है या कुछ और। साथ ही ‘शिवलिंग’ कितना पुराना है, इसका भी पता चल जाएगा।
हिंदू पक्ष ने क्या कहा०००
ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा के अधिकार की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि कथित ‘शिवलिंग’ कितना पुराना है, क्या यह वास्तव में ‘शिवलिंग’ है या कुछ और।
वाराणसी जिला जज के आदेश को चुनौती०००
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग से उसे नुकसान पहुंच सकता है? जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कल सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। याचिका हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से दायर की गई थी। याचिका में वाराणसी के जिला जज के आदेश को चुनौती दी गई थी। वाराणसी की अदालत ने 14 अक्टूबर, 2022 को कथित तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाए गए शिवलिंग जैसी संरचना की वैज्ञानिक जांच कराने के लिए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था।
हिंदू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष का दावा है कि जो संरचना मस्जिद के अंदर मिली है, वो शिवलिंग है, वहीं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने कहा है कि यह एक फव्वारा है। हिंदू पक्षकारों ने कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो ज्ञानवापी मस्जिद में एक अदालत के आदेश पर वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान मिला था।