***जेडीन्यूज़ विज़न ***
नई दिल्ली :: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की गुजारिश की गई थी।
इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि लोकसभा सचिवालय को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा कराए जाने संबंधी निर्देश जारी किया जाए। कोर्ट ने हालांकि इस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील जय सुकीन से कहा कि न्यायालय इस बात को समझता है कि यह याचिका क्यों और कैसे दायर की गई और वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहता।
सुकीन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 79 के तहत राष्ट्रपति देश की कार्यपालिका की प्रमुख हैं और उन्हें आमंत्रित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि न्यायालय सुनवाई नहीं करना चाहता, तो उन्हें याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाए।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाती है, तो उसे हाई कोर्ट में दायर किया जाएगा। इसके बाद पीठ ने याचिका को वापस ले ली गई मानकर खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादी–लोकसभा सचिवालय और भारत संघ–उन्हें (राष्ट्रपति को) उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को ”अपमानित” कर रहे हैं।
यह याचिका, 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये जाने के कार्यक्रम को लेकर छिड़े एक विवाद के बीच दायर की गई। करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को ”दरकिनार” किये जाने के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
दरअसल, बुधवार को 19 राजनीतिक दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा था, ”जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से बाहर निकाल दिया गया है, तब हमें एक नये भवन का कोई महत्व नजर नहीं आता।” वहीं, भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने इस ”तिरस्कारपूर्ण” फैसले की निंदा की।
सत्तारूढ़ राजग में शामिल दलों ने बुधवार को एक बयान में कहा था, ”यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं, बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है।” लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और उन्हें भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। मोदी ने 2020 में इस भवन का शिलान्यास भी किया था और ज्यादातर विपक्षी दल उस समय भी इस कार्यक्रम से दूर रहे थे।