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भारत सहित दुनिया में एक नई बहस चल रही है. वो है घटती आबादी की समस्या. चंद साल पहले तक हम अपनी हर समस्या का जड़ अपनी विशाल आबादी को बताते थे लेकिन, अब समय बदल गया है. भारत में भी आबादी बढ़ने की रफ्तार जरूरत से नीचे आ गई है।
दूसरी तरफ दुनिया में इस वक्त करीब 52 देश हैं जहां की आबादी लगातार घट रही है. इसमें चीन और जापान देश जैसे ताकतवर देश भी शामिल हैं. भारत में पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हर दंपति को तीन बच्चे पैदा करने चाहिए. वरना हमारी नस्ल विलुप्त हो जाएगी.
इस वक्त भारत में फर्टिलिटी रेट 2 पर आ गई है. जबकि 1950 में यह दर 6 थी. रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में देश में सभी धर्मों के लोगों में फर्टिलिटी रेट में भारी कमी आई है. मुस्लिमों में फर्टिलिटी रेट 2.36 है जबकि हिंदुओं में फर्टिलिटी रेट 1.94 है. इसी तरह ईसाई में 1.88 और सिख में 1.61 फर्टिलिटी रेट है. रिपोर्ट के मुताबिक किसी की देश में उसकी मौजूदा आबादी को बनाए रखने के लिए फर्टिलिटी रेट कम से कम 2.1 होनी चाहिए. इस हिसाब से आने वाले दिनों में देश की आबादी में कमी आएगी, जो एक सुखद चीज है. आबादी घटने से लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा.
खैर, भारत के संदर्भ में ये बात हम यहीं छोड़ते हैं. अब बात करते हैं दुनिया में सबसे कम फर्टिलिटी रेट वाले मुल्क की. इस मुल्क का नाम दक्षिण कोरिया है. यह देश बीते कुछ दिनों से चर्चा में है, क्योंकि यहां के राष्ट्रपति ने अचानक मार्शल लॉ लगा दिया. हालांकि जनता के विरोध के उन्हें 24 घंटे के भीतर यह फैसला वापस लेना पड़ा।
विलुप्त हो जाएगा ये मुल्क…
दक्षिण कोरिया की गिनती इस वक्त दुनिया में आने वाले समय में विलुप्त होने वाले देशों में की जा रही है. इस देश ने बीते 60-65 सालों में जबर्दस्त प्रगति की है. 1962 में इस मुल्क में प्रति व्यक्ति आय औसत ग्लोबल आय से महज 20 फीसदी अधिक था. उस वक्त यहां की फर्टिलिटी रेट 6 हुआ करती थी. यानी हर एक महिला के शरीर से औसत छह बच्चे पैदा होते थे. लेकिन, इस देश ने जैसे-जैसे आर्थिक प्रगति की उसकी फर्टिलिटी रेट घटती गई. 1983 में इसकी फर्टिलिटी रेट गिरकर 2.1 पर आ गई. मौजूदा वक्त में यहां प्रति व्यक्ति आय 36 हजार डॉलर (30 लाख रुपये) सालाना से अधिक है. दूसरी तरफ भारत की प्रति व्यक्ति आय आज भी एक लाख रुपये सालाना से कम है. 2023 में इस मुल्क की फर्टिलिटी रेट 0.72 पर आ गई है. आज हालात यह है कि इस मुल्क में 100 महिलाओं के शरीर से केवल 72 बच्चे पैदा हो रहे हैं.
एक तिहाई रह जाएगी आबादी…
इस वक्त दक्षिण कोरिया की आबादी 5.2 करोड़ है. अगर इसी रफ्तार से आबादी घटती रहे तो इस सदी के अंत तक इस मुल्क में केवल 1.7 करोड़ लोग बच जाएंगे।
शादी में भरोसा नहीं…
जनसंख्या घटने की मुख्य वजह महिलाओं का कामकाजी होना है. आर्थिक प्रगति के साथ दक्षिण कोरिया की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं. ऐसे में वे कहती हैं कि महिलाएं बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं हैं. दूसरी तरफ युवाओं की एक बड़ी आबादी शादी में भरोसा नहीं करती. वे रिश्तों के बंधन में नहीं बंधना चाहते. ऐसे में इस देश में बिना शादी बच्चे पैदा करने का भी चलन बढ़ा है.
क्या हैं उपाय…
आबादी बढ़ाने के उपाय को लेकर दक्षिण कोरिया की सोसायटी में बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में तरह-तरह के उपाय बताए जा रहे हैं. एक विचार यह कह रहा है कि स्कूलों में लड़कियों का दाखिला लड़कों से एक साल पहले होना चाहिए. क्योंकि लड़कियों का शरीर लड़कों की तुलना में पहले डेवलप कर जाता है. ऐसे में सेम क्लास में उम्र में एक साल बड़े लड़कों के होने से दोनों के बीच आकर्षण बढ़ेगा और उनके बीच संबंध बनने की संभावना भी बढ़ेगी. इससे फर्टिलिटी रेट बढ़ सकता है. एक दूसरा विचार यह कह रहा है कि लड़के-लड़कियों को टीन एज से एक ही कमरे में रहने की अनुमति दी जाए. ऐसे में दोनों के बीच संबंध बनने की संभावना प्रबल होगी।
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