…..भाग्योदय….
माता और पिता की सेवा,
जो सच्चे मन से करता है l
सारे पाप दूर हो जाते,
जो अनजाने में करता है ll
माता -पिता की आँखों से,
यदि अश्रुधार बहती रहती है l l
वह घर स्वर्ग नहीं बन सकता,
कलह सदा जिस घर रहती है ll
यदि पत्नी गुणवती मिली है,
पुत्र मिला है आज्ञाकारी l
मित्र भी सच्चा मिल जाए,
तो प्रभु की कृपा बड़ी है भारी ll
पत्नी पति का सम्मान अगर,
पतिदेव समझकर करती है l
ईश्वर उसकी झोली भी सदा,
मनोवांछित फल से भरती है ll
जिस घर में माता और पिता,
बच्चों के साथ नित हँसते हैं l
वह ही भगवान का मंदिर है,
भगवान उसी में बसते हैं ll
डॉ. विश्वम्भर दयाल अवस्थी
शिक्षक एवं साहित्यकार