Breaking News

अपने कुल को तारने हेतु प्रह्लाद जैसी भक्ति करनी चाहिए: राघव ऋषिजी

तृतीय दिवस प्रेस विज्ञप्ति

*अपने कुल को तारने हेतु प्रह्लाद जैसी भक्ति करनी चाहिए: राघव ऋषिजी*
मन को सतत सत्कर्म में लगाए रखो नहीं तो मन निठल्ला हो कर पाप करेगा ये उदगार पूज्य राघव ऋषि जी ने कथा के तृतीय दिवस उपनगर कौड़ीराम के सर्वोदय किसान इण्टर कॉलेज में अपार जनसमूह को देते हुए कहा | जीवन में धर्म, अर्थ, काम,मोक्ष के साथ-साथ मंत्र, ग्रन्थ, कन्त व सन्त भी होने चाहिए जिससे सर्वांगीण कल्याण व विकास मिलता है | सृष्टि का नियन्त्रण करने के लिए मृत्युलोक में भगवान ने अपने सात प्रत्यक्ष ग्रह रूपी पार्षदों को नियुक्त किया है जो प्रतिक्षण मनुष्य को संचालित करते है | चन्द्रमा के करीब आने पर निर्जीव जल भी ज्वार-भाटे के रूप में आन्दोलित हो जाता है तो सजीव मनुष्य क्यों नहीं होगा | सूर्य से आत्मतत्व, चन्द्रमा से मन, मंगल से सत्व रजसतत्व बुध से वाणी, बृहस्पति से प्रज्ञा व ज्ञान, शुक से धन व भौतिक संसाधन एवं शनि से सुख व दुःख नियंत्रित होता है | जिव यदि धर्म की मर्यादा में रहकर जीवन यापन करता है तो उसे सुख व अन्त में स्वर्ग में प्राप्ति होती है।
कथाक्रम को आगे बढ़ाते हुए ऋषि जी ने कहा मन का विश्वास मत करो | यह बड़ा विश्वासघाती है | उसे अंकुश में रखो | अजामिल प्रसंग की चर्चा करते हुए बताया कि अजा का अर्थ है माया और माया में फँसा हुआ जीव ही अजामिल है | एक वैश्या को देखने के बाद उसका मन दूषित हो गया | पाप प्रथम आँख द्व्रारा ही होता है | आँख बिगड़ी कि मन बिगड़ा और मन बिगड़ा तो जीवन बिगड़ा | सन्तों के कहने पर उसने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा | अन्तकाल में उसने यमदूतों से डरते नारायण-नारायण पुकारा, उसका नारायण नहीं आया किन्तु विष्णुदूत आ गए | अंगारे पर जाने या अनजाने पर पैर पड़ जाए तो अंगारा जलाता है | अन्त में वह भगवान के धाम में गया |
आश्रम में चर्चा करते हुए ऋषि जी ने कहा कि ब्रह्मचर्य आश्रम के वृद्धि का है गृहस्थ आश्रम क्षय का है वानप्रस्थ में समय बढ़ाकर फिर से शक्ति बढ़ाने का | सन्यास आश्रम भागाकार है | वर्णाश्रम की रचना क्रमश: धीरे-धीरे जीव को ईश्वर के निकट ले जाने का सोपान है | गृहस्थ धर्म में पति-पत्नी सावधानीपूर्वक पवित्र जीवन जिएँ तो सन्यास आश्रम जैसा ही आनन्द मिल सकता है पत्नी संग, सत्संग बने | गृहस्थी तीनों आश्रम का पालन पोषण करता है | गृहस्थ आश्रम को आज्ञा दी गई है कि सत्कर्म व दान करें क्योंकि दान से धन कि वृद्धि होती है व सद्गुरु का आश्रय लेकर भगवान की भक्ति करें सतगुण की वृद्धि से प्रभु मिलन की आतुरता भी बढ़ेगी | जबतक इन्द्रियाँ सशक्त है जबतक प्रभु व सन्तों की सेवा करके शरीर-रथ को भी छोड़ देना चाहिए | अभिमान रहित होकर पति-पत्नी सत्संग करे | मौज-मजे में सभी साथ-साथ रहते है और दण्ड अकेले जीवात्मा को भोगना पड़ता है | धन व ज्ञान अधिकारी का कल्याण करता है और अनाधिकारी उसका दुरूपयोग करता है।
आज से पूज्य ऋषिजी प्रतिदिन प्रातः 7:30 बजे से कथास्थल पर ज्योतिष सम्बन्धी परामर्श क्षेत्रवासियों को नि:शुक्ल प्रदान कर रहे हैं जिसमे कथा सहित जनसमूह उमड़ रहा है | उनका यह कार्य लोकहित के लिए है |

*चार प्रकार के पुत्र*
अजामिल उपाख्यान चरित्र की चर्चा करते हुए पूज्यश्री ने कहा ये जीव ही अजामिल है | यह मोह में पड़कर पाप करता है परन्तु पाप का प्रायश्चित नहीं करता | पापी प्रभु से भक्ति पवित्र होता है | जो प्रति श्वांस के गुरुदेव के द्वारा दिए गए मन्त्र का जाप करता है उसे पाप कभी छूता नहीं है|

सौरभ ऋषि ने “सब हो जाएं भव से पार” भजन गाया तो पूरे पंडाल में उपस्थित जन समुदाय नृत्य करने लगे | परमात्मा का ध्यान करने से मन शुद्ध होता है | स्मरण भावपूर्वक करना चाहिए | पाप जीभ को पकड़े रहता है | केवल पढ़ते रहने से ज्ञान का अनुभव नहीं हो सकता अपितु नाम जप करने वाले को ज्ञान का अनुभव होता है | जप के बिना जीवन नहीं सुधरता |
चार प्रकार के पुत्र होते है- शत्रु पुत्र, ऋणानुबन्धी उदासीन और सेवक पुत्र, प्रथम तीन पुत्रों से कल्याण नहीं होता, सेवक पुत्र कुल वंश को धन्य करता है | भक्तराज प्रहलाद सेवक पुत्र थे उनके कारण हिरण्यकश्यप का उद्धार हुआ | बाल्यावस्था से प्रभु भक्ति करनी चाहिए | वृद्धावस्था में देह की सेवा तो हो सकती है किन्तु देव की नहीं | कथा के अन्त में नृसिंह भगवान की दिव्य झांकी ने प्रभु भक्तों को आकर्षित किया। मुख्य यजमान डॉ रतन राय एवं डॉ रचना राय द्वारा झांकी एवं व्यासपीठ पूजन किया गया।
कथा मुख्य संयोजक श्री मार्कण्डेय राय ने बताया कि शनिवार की कथा में वामन अवतार, श्रीराम चरित्र एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा जिसकी भव्य तैयारियों को कार्यकर्ता व क्षेत्रवासी पूर्णता प्रदान कर रहे हैं।
ऋषि सेवा समिति, कौड़ीराम के पदाधिकारीगण सर्वश्री गौरव राय, कृपाशंकर राय, भवनाथ राय, गुड्डू राय, प्रवीण राय, अनिल राय, अतुल राय, अवनीश राय, सुधीर राय, रजनीश राय, धर्मेंद्र राय, विनोद यादव, वीरेन्द्र प्रसाद दूबे, अजय प्रकाश सिंह सहित अनेक गणमान्य भक्तों ने प्रभु की भव्य आरती की।

About admin

Check Also

मो. रफी के 100 वें जन्मदिन पर सजी महफ़िल…

Jdnews Vision… (मंजू श्रीवास्तव) लखनऊ : : मोहम्मद रफी की आवाज में वो जादू था …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *