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“सुर लय ताल” पुस्तक में प्रकाशन हेतु कोमल वर्मा की सुंदर रचना…

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*भारतीय शास्त्रीय संगीत से संबंधित “सुर लय ताल” पुस्तक के मुख्य सम्पादक संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी के पुस्तक प्रकाशन में शामिल होने हेतु उत्तरप्रदेश लखनऊ से “हिन्दी दैनिक जनोदय न्यूज विजन” के उप संपादक व लेखिका सुश्री कोमल वर्मा ‘लखनवी’ द्वारा प्रेषित संगीत के महत्व विषय पर “मां सरस्वती वंदना” गीत प्राप्त हुई है, वह इस प्रकार है…..

*!! मां सरस्वती वंदना गीत!!*

वीणा वादिनी सरस्वती जी, करूं वंदना गान।
ॐ शब्द का उच्चारण, ह्रदय बसे सुर ज्ञान।।

ॐ शब्द की उच्चारण से,
अंत: करण में जब सुर भरते।
हृदय की उस गहराई से,
जब अलाप हम लय से करते।।

वह सुर कंठ तक आते-आते,
ध्वनितंत्र को कंपित करते।
ॐ ध्वनि रूप से शक्ति संचार,
जीवन प्राण आयु है भरते।।

ॐ शब्द सदा ब्रह्मांड में,
गुंज रहा है हर कण-कण में।
वेद पुराण सभी यह गाए,
सुना जा सकता है क्षण में।।

“सुर लय ताल” इन्द्र जी बोले,
सभी अप्सरा लय में नाचे।
सुर पुर में सब देवता बोले,
ढोल नगाड़े लय में बाजे।।

ढोल मृदंग लय अति सुहावन,
सुर लय ताल सभी की सपना।
झांझ मंजीरा है मन भावन,
सुर बिन यहां नहीं है अपना।।

सुर संगीत सभी मन भाए,
ताल वाद्य सुर तान सुहाए।
सुर अलाप अति मन को भाए,
श्रुति साधना लयबद्ध छाए।।

खुश रहने का है यह साधन,
दुख छूटे लागे मन भावन।
याद रहे यह सदा सुहावन,
मन अनुरागी लागे पावन।।

संग नहीं छोड़े कभी अपना,
सुख दुख में यह लागे अपना।
क्या वर्णन संगीत सुहाए,
जीवन को अनमोल बनाए।।

निस दिन मन में ध्यान से, सरस्वती चित लाय।
“कोमल वर्मा, लखनवी” नित हर्षित मन
भाय।।

*कोमल वर्मा – उप संपादक*
जनौदय न्यूज विज़न हिंदी दैनिक
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सेल फोन. 91 63938 96728…..

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