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3 से 11 साल तक के बच्चों की मातृभाषा में हो पढ़ाई, CBSE ने जारी की नई गाइडलाइन

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आमतौर पर ऐसा देखने में आता है कि ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ाई होती है, मातृभाषा पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई (CBSE) ने इसको लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें सीबीएसई के सभी संबद्ध स्कूलों को छात्रों की मातृभाषा को जल्द से जल्द मैप करने के लिए कहा गया है।

फिलहाल अंग्रेजी देशभर के सीबीएसई स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में निर्देश की प्रमुख भाषा है और ये तो आप जानते ही होंगे कि सीबीएसई देश का सबसे बड़ा स्कूल बोर्ड है, जिसमें 30 हजार से अधिक स्कूल एफिलिएटेड हैं.

सीबीएसई का सर्कुलर कहता है कि प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत ‘मूलभूत चरण’ यानी फाउंडेशनल स्टेज कहा जाता है, उसमें बच्चों की पढ़ाई उनकी घरेलू भाषा, मातृभाषा या एक परिचित क्षेत्रीय भाषा में होनी चाहिए. यह भाषा, जिसे ‘R1’ कहा जाता है, आदर्श रूप से मातृभाषा होनी चाहिए.

सर्कुलर में आगे कहा गया है कि कक्षा 3 से 5वीं तक के छात्र R1 (मातृभाषा/परिचित क्षेत्रीय भाषा) में सीखना जारी रख सकते हैं या R1 के अलावा किसी अन्य माध्यम में पढ़ाई का विकल्प दिया जा सकता है. हालांकि 22 मई को जारी हुआ यह सर्कुलर बताता है कि मातृभाषा में पढ़ाई जुलाई से शुरू हो सकती है.

मातृभाषा-आधारित पढ़ाई बनेगी अनिवार्य…

यह पहली बार है जब सीबीएसई ने संकेत दिया है कि वो अपने स्कूलों में मातृभाषा-आधारित पढ़ाई को अनिवार्य बना सकता है. अब तक नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 और स्कूल एजुकेशन 2023 के तहत बोर्ड ने सिर्फ एडवाइजरी सर्कुलर के माध्यम से ही इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया था.

NEP 2020 क्या कहता है?..

दरअसल, एनईपी 2020 और एनसीएफएसई 2023 दोनों प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा का उपयोग करने की सलाह देते हैं.विशेष रूप से फाउंडेशनल स्टेज में 8 साल की उम्र तक. एनसीएफएसई 2023 में कहा गया है, ‘चूंकि बच्चे अपनी घरेलू भाषा में सबसे तेजी से और गहराई से कॉन्सेप्ट को सीखते हैं, इसलिए निर्देश का प्राथमिक माध्यम बच्चे की घर की भाषा/मातृभाषा/परिचित भाषा होगी’.

जल्द बनेगी NCF कार्यान्वयन समिति…

सीबीएसई के सर्कुलर में सभी स्कूलों को मई के अंत तक एक ‘एनसीएफ कार्यान्वयन समिति’ बनाने के लिए कहा गया है. ये समिति छात्रों की मातृभाषाओं, भाषा संसाधनों को मैप करेगी. वहीं, स्कूलों को भी जल्द से जल्द लैंग्वेज मैपिंग एक्सरसाइज पूरा करने के लिए कहा गया है।

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