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कुवैत में रातों रात 37,000 लोगों की छीनी गई नागरिकता… बैंक खाते भी हुए फ्रीज.. आखिर क्या है माजरा….

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कुवैत से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक झटके में 37,000 लोगों की नागरिकता खत्म कर दी गई है, जिनमें मुस्लिम महिलाओं की संख्या ज्यादा है. इनमें से कई महिलाएं दशकों से कुवैती नागरिक थीं और कुवैती पुरुषों से शादी करने के बाद उन्हें नागरिकता मिली थी.

लेकिन अब सरकार की नई नीति के तहत उनकी नागरिकता रद्द कर दी गई है. नागरिकता खत्म होने के बाद इन महिलाओं के बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं, पेंशन रुक गई है और सरकारी लाभ मिलना भी बंद हो गया है. कई महिलाएं अब “स्टेटलेस” यानी बिना किसी देश की नागरिक बन गई हैं।

पीड़ित महिलाओं ने बताया कि वह दशकों से कुवैत (Kuwait News)  में रह रही हैं, उनकी शादी भी वहीं हुई है. इसके बावजूद उनकी नागरिकता खत्म कर दी गई.

क्यों लिया गया ऐसा फैसला?…

कुवैत के नए अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-सबाह ने दिसंबर 2023 में सत्ता संभालने के बाद संसद भंग कर दी थी और संविधान के कुछ हिस्सों को भी निलंबित कर दिया थी. इसके बाद मार्च 2024 में उन्होंने एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि वो “कुवैत को उसके असली लोगों को लौटाना चाहते हैं और उसे हर तरह की अशुद्धियों से मुक्त करना चाहते हैं. उनकी इस नई नीति का मकसद कुवैत की नागरिकता केवल खून के रिश्तों तक सीमित रखना है, जिससे देश की जनसंख्या और वोटर बेस को घटाया जा सके.

यानी अब वो लोग जिन्हें शादी या किसी अन्य वजह से नागरिकता (Kuwait Citizenship) मिली थी, उन्हें बाहर किया जा रहा है।

कितनी महिलाओं की नागरिकता गई?…

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2024 से अब तक 37,000 से ज्यादा लोगों की नागरिकता रद्द की गई है, जिनमें करीब 26,000 महिलाएं हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं वो हैं जिन्हें शादी के आधार पर नागरिकता मिली थी.

1993 से 2020 के बीच 38,505 महिलाओं को शादी के बाद कुवैती नागरिकता दी गई थी. अब नई नीति के तहत उन सभी की नागरिकता खत्म की जा रही है.

आलोचना भी शुरू…

शुरुआत में इस कदम को फर्जीवाड़ा रोकने के तौर पर देखा गया, लेकिन अब लोगों का गुस्सा सामने आने लगा है. लोगों का कहना है कि सरकार ने मासूम महिलाओं को अपराधियों की तरह ट्रीट किया है. कई लोगों ने इसे नस्लीय भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ अन्याय बताया है.

क्या होगा आगे?…

कुवैत सरकार ने कहा है कि इन महिलाओं को सामाजिक सुविधाएं मिलती रहेंगी, लेकिन राजनीतिक अधिकार खत्म हो जाएंगे. सवाल ये है कि जब एक महिला दशकों से एक देश में रह रही है, टैक्स भर रही है, परिवार चला रही है, तो क्या उसे अचानक “बाहरी” कहा जा सकता है?

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