आज का आधुनिक सुविचार
भगवान अपने प्रत्येक भक्त से क्या अपेक्षा करते हैं? भगवान आज हमें स्पष्ट और प्रेमपूर्ण निर्देश देते हैं।
यदि समय का दुरुपयोग किया जाए, तो अज्ञानी (परमहंस) उच्चतम क्रम के तपस्वी (परमहंस) बन सकते हैं और उस तपस्वी को सार्वभौमिक पदार्थ और सार (परमात्मा) में भी स्थानांतरित किया जा सकता है। जिस प्रकार एक मछली केवल तभी जीवित रह सकती है जब वह पानी में डूबी हो, जब वह अपने आस-पास के तत्वों को महसूस करती हो, उसी प्रकार मनुष्य एक ऐसा जानवर है जो केवल तभी जीवित रह सकता है जब वह आनंद में डूबा हो। व्यक्ति को न केवल घर, समाज और दुनिया में, बल्कि सबसे बढ़कर दिल से खुश रहना चाहिए। दरअसल, दिल की खुशी हर जगह खुशी पैदा करती है। हृदय आनंद का झरना है। उस झरने को रुक-रुक कर निरंतर ध्यान, भगवान के नाम का जाप और भगवान की महिमा, अनुग्रह और अमोघ अभिव्यक्तियों द्वारा स्पर्श किया जाना चाहिए। लक्ष्य को मजबूती से पकड़ें; भक्त को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। कभी भी संदेह या निराशा को रास्ता न दें।
– बाबा द्वारा दिव्य प्रवचन
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