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पिठापुरम, 15 नवंबर : : श्री विश्वविज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठ के नौंवें पीठाधिपति डाॅ. उमर अली शाह ने कहा कि आज की दुनिया के सभी क्षेत्रों में जलवायु में बड़े बदलावों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जो पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है, इसलिए मनुष्य को अपने ग्रह की रक्षा के लिए पौधों व प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए ।
डाॅ. उमर अली शाह ने शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काकीनाडा रोड, पिठापुरम के न्यू आश्रम के परिसर में आयोजित एक सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान ने मनुष्य को बुद्धि के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर दिया है और इसलिए उस ज्ञान का उपयोग मानव जाति के कल्याण के लिए सभों को करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थी विचारों से पेड़ों को काटते हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है और पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि प्रकृति का संरक्षण नहीं किया गया तो मानव अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष तीन पौधों की देखभाल करने की सलाह दी जाती है। प्रत्येक पौधे को एक- एक ऑक्सीजन सिलेंडर के बराबर बताया गया है। कहा जाता है कि हर किसी को इस बात को जानना और पालन करना चाहिए कि वृक्ष रक्षति रक्षितः है। उन्होंने पौधों को उगाकर ग्रह को फिर से हरा-भरा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति दुनिया को दो आंखों से देख सकता है, आध्यात्मिक ज्ञान की आंख और समाज सेवा की आंख, तो कार्तिक पूर्णमी की रोशनी उसके जीवन भर चमकती रहेगी।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आध्यात्मिक मूल्यों की कमी के कारण मनुष्य अपनी मानसिक शांति खो रहा है और लगातार अशांति में रहता है और कई हिंसक कृत्य करता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक एवं दार्शनिक ज्ञान विकसित करने से मन के शांत होने की स्थिति बनेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों में आध्यात्मिक एवं दार्शनिक मूल्यों का विकास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अवधारणाओं से प्रकृति की रक्षा की जा सकती है।
बाद में गीतावधानी यारमशेट्टी उमामहेश्वर राव, पीठम सेंट्रल वर्किंग कमेटी के सदस्य एनटीवी वर्मा ने सभा में बोलते हुए मानव जीवन में होने वाली विकासात्मक क्रियाओं के बारे में सभा को समझाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने दैनिक जीवन में हमेशा अतीत और भविष्य के समय पर ध्यान केंद्रित करता है और उनके बारे में सोचता है और दुख में डूब जाता है और इसलिए वर्तमान में होने वाली चीजों को समझ नहीं पाता है। ऐसा कहा जाता है कि सदगुरुओं की शरण में जाने से स्थित प्रज्ञता की प्राप्ति होती है।
उन लोगों ने कहा कि श्री विश्वविज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठ एक ऐसी पीठ है जो सैकड़ों वर्षों से समय-समय पर वेदांत विद्या प्रदान करके सभी मनुष्यों के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने सभा को पीठाधिपतियों की श्रेष्ठता के बारे में समझाते हुए , पीठाधिपतियों द्वारा दी गई ध्यान, ज्ञान और मंत्र प्रथाओं को अपनाकर एक इंसान बन सकता है। उन्होंने कहा कि त्रयी साधनाओं से मानव जिस मुक्ति पथ की ओर जाना चाहेगा, उस ओर आगे बढ़ सकेंगा।
इसके बाद उमर अलीशा ग्रामीण विकास ट्रस्ट की ओर से जरूरतमंदों के बीच सिलाई किट तथा पक्षियों के चारे के लिए अनाज वितरित किए।
पीठ द्वारा संचालित तात्विक बालविकास में प्रशिक्षित कुमारी, उमा वैष्णवी और पीठ के सदस्य अमीर भाशा के आध्यात्मिक प्रवचनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
बैठक में पीठ की सदस्य अनिशेट्टी उमा ने संगीतमय प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया। इस मौके पर 162 लोगों को नव दीक्षा दी गयी।
इस कार्यक्रम में पीठम के संयोजक पेरुरी सूरीबाबू, मीडिया संयोजक अकुला रवि तेजा, पीठम केंद्रीय समिति के सदस्य एवीवी सत्यनारायण, एन.टी.वी.प्रसाद वर्मा,डाॅ. पिंगली आनंद और अन्य गणमान्यों ने भाग लिया।