Jdnews Vision…
है कांटों से भरी मंजिल, मेरे हमराज़ चुन लेना।
ना मुमकिन हो,जो मैं कह पाऊं, उसे भी आज़ सुन लेना।
भरी महफिल में तनहा हूं,साथ तुम ही तो चल लेना।
है मुमकिन आज़ टूटूं मैं तुम्हारे ही दो पहलू में,मगर हमराज़ मुझको तुम सहारा दे ही देना।
ज़माने की बग़ावत में, जो ख़िलाफत तुमसे हो जाए, मुझे मासूम समझ कर तुम, मेरे अल्फ़ाज़ सह लेना।
हो आंखों में जो आंसू भी,मेरी पलकों से चुन लेना।
बहुत मुश्किल से संभला हूं, ज़माने की मैं ठोकर से,मेरी राहों का हर पत्थर मेरे साथी तुम चुन लेना।
मेरे बिखरें से जीवन को,मेरी उघड़ी सी किस्मत को, मेरे हमराज़ बुन लेना।
है कांटों से भरी मंजिल, मेरे हमराज़ चुन लेना।
डॉ मनीष वर्मा प्रवक्ता उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी सहकारिता प्रकोष्ठ…