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आज का आध्यात्मिक सुविचार…

आज का आध्यात्मिक सुविचार
ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम विकसित करने के लिए क्या आवश्यक है? आज भगवान हमें स्पष्ट रूप से मार्गदर्शन करते हैं, क्योंकि हम क्रिसमस की पूर्व संध्या मनाते हैं।
आज मनुष्य निर्जीव मूर्तियों और छवियों की पूजा करता है, लेकिन अपने साथी मनुष्यों से प्रेम करने का कोई प्रयास नहीं करता है। यह ईसा का पहला संदेश था। यद्यपि व्यक्ति अपने पड़ोसी को प्रतिदिन देखता है, लेकिन वह उनसे प्रेम करना नहीं चुनता है! कोई कैसे विश्वास कर सकता है कि ऐसा व्यक्ति अदृश्य ईश्वर से प्रेम कर सकता है? यदि आप अपनी आँखों के सामने दिखाई देने वाले साथी मनुष्य से प्रेम नहीं कर सकते, तो आप उससे कैसे प्रेम कर सकते हैं जो आपको दिखाई नहीं देता? संभव नहीं! केवल वही व्यक्ति अदृश्य ईश्वर से प्रेम कर सकता है जो अपने आस-पास के जीवित प्राणियों से प्रेम करता है। प्रेम की शुरुआत आकार वाले प्राणियों से प्रेम से होनी चाहिए। इसे सभी प्राणियों तक बढ़ाया जाना चाहिए! यह आध्यात्मिकता में प्राथमिक चरण है। आध्यात्मिकता का अर्थ ध्यान, पूजा आदि में व्यस्त रहना नहीं है। इसमें मनुष्य में मौजूद पाशविक और राक्षसी गुणों का पूर्ण विलोपन और उसके अंतर्निहित देवत्व की अभिव्यक्ति शामिल है। जब मनुष्य के आसक्त होने वाले राग-द्वेष दूर हो जाते हैं, तो मनुष्य में निहित दिव्यता, उसके अंदर का सत्-चित्-आनंद स्वयं प्रकट हो जाता है।

– बाबा द्वारा दिव्य प्रवचन

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