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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में अमिट छाप छोड़ी…

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(रिपोर्टर रामपाल उपाध्याय)
पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के अग्रदूत डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के साथ देश ने न केवल एक प्रखर अर्थशास्त्री और कुशल नेता को खोया, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व को भी अलविदा कहा, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति में अमिट छाप छोड़ी।

सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित देश-विदेश के नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम हमेशा भारतीय आर्थिक इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। देश के पास मात्र 15 दिन का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, लेकिन डॉ. सिंह की दूरदर्शिता और साहसिक निर्णयों ने न केवल इस संकट से उबारा, बल्कि भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ाया।
डॉ. सिंह ने लाइसेंस राज को समाप्त किया, विदेशी निवे बढ़ावा दिया और भारतीय बाजारों के द्वार वैश्विक कंपनियों के लिए खोले। उनकी आर्थिक नीतियों के कारण देश में रोजगार के अवसर बढ़े, और लाखों भारतीय गरीबी रेखा से ऊपर आए। उनकी नीतियों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ती हुई दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाई।
26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के गाह गांव (अब पाकिस्तान में) में जन्मे डॉ. सिंह ने अपनी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पूरी की। उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर भारत के शीर्ष शिक्षाविदों में अपना स्थान बनाया।

उनका राजनीतिक करियर तब परवान चढ़ा जब 2004 में वे भारत के प्रधानमंत्री बने। यूपीए सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान डॉ. सिंह ने भारत को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि सामाजिक सुधारों को भी प्राथमिकता दी

डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी विद्वता और कुशलता के साथ-साथ उनकी सादगी और विनम्रता के लिए भी जाना जाता है। वे राजनीति में शोर-शराबे और आरोप-प्रत्यारोप से दूर रहकर अपनी कार्यशैली और नीतियों से लोगों का दिल जीतते रहे। उन्होंने कभी भी अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा नहीं पीटा, बल्कि हमेशा अपने काम को प्राथमिकता दी।

उनकी इस सादगी और विनम्रता के चलते देश-विदेश के नेताओं ने भी उनकी प्रशंसा की। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें “महान अर्थशास्त्री और शांत व्यक्तित्व का स्वामी” कहा था।
डॉ. सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का जाना भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने शांत और विनम्र स्वभाव के साथ देश को नई दिशा दी। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
उनके निधन से भारतीय राजनीति और समाज में एक शून्य पैदा हुआ है। लेकिन उनकी विरासत, उनके विचार और उनकी नीतियां हमेशा देश को प्रेरित करती रहेंगी। डॉ. मनमोहन सिंह एक युग थे, जो अब समाप्त हो गया, लेकिन उनकी कहानी हर भारतीय के दिल में जिंदा रहेगी।

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