***जेडीन्यूज़ विज़न ***
वर्ष 2025 से सभी ट्रकों के केबिनों में अनिवार्य रूप से एयर-कंडिशंड लगाना होगा, ताकि पसीने से तर बतर होकर रोज 11-12 घंटे बिताने वाले उन ड्राइवरों को आराम मिल सके. कठिन स्थिति में काम करना और एक बार की बैठकी में लंबी दूरी तय करने की मजबूरी में ड्राइवर अक्सर थक जाते हैं और इस वजह से आए दिन ट्रक एक्सिडेंट की घटनाएं देखने को मिलती हैं।
जबकि वॉल्वो और स्कैनिया जैसे वैश्विक कंपनियों द्वारा बनाए गए हाई-एंड ट्रक पहले से ही एयर-कंडिशंड केबिन के साथ आते हैं. कई वर्षों तक इस मुद्दे पर बहस के बावजूद ट्रक बनाने वाली भारत की अधिकांश कंपनियों ने इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया.
सोमवार को, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि उन्होंने अधिकारियों के साथ ट्रकों के केबिन में एसी को अनिवार्य रूप से लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस प्रस्तावन में कहा गया है कि इंडस्ट्री को अपग्रेड करने के लिए 18 महीने की संक्रमण अवधि आवश्यक थी.
सड़क परिवहन मंत्रालय ने पहली बार 2016 में इसके लिए प्रस्ताव दिया था. उन्होंने बताया, ‘हमारे देश में, कुछ ड्राइवर 12 या 14 घंटे ड्राइविंग करते हैं. जबकि अन्य देशों में, बस और ट्रक ड्राइवरों के ड्यूटी पर रहने के घंटों की संख्या निर्धारित है. हमारे ड्राइवर 43 से 47 डिग्री के तापमान में वाहन चलाते हैं, ऐसे में हमें ड्राइवरों की स्थिति की कल्पना करनी चाहिए.’
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘मैं मंत्री बनने के बाद ही एसी केबिन पेश करने का इच्छुक था. लेकिन कुछ लोगों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि लागत बढ़ जाएगी. अब मैंने फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं कि सभी ट्रक केबिन एसी केबिन होंगे.।’
मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘इंडस्ट्री ने मांग की थी कि प्रावधान वैकल्पिक होना चाहिए. उनमें से कुछ ने दावा किया था कि चालकों को एसी केबिन में नींद आ सकती है. बस ड्राइवरों के बारे में हमारी हमेशा एक ही धारणा थी और ड्राइवरों के केबिन वर्षों से नॉन-एसी थे. लेकिन वॉल्वो बसों के आने से यह धारणा खत्म हो गई और अब सभी लग्जरी बसों में ड्राइवरों के लिए भी एसी केबिन हैं.’ एक अनुमान के मुताबिक, ट्रकों में एसी केबिन उपलब्ध कराने पर प्रति ट्रक 10,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक का अतिरिक्त खर्च आएगा।