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लखनऊ, 05 जुलाई : : एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ परिसर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आज ‘सतत इंजीनियरिंग अभ्यास – चुनौतियां और शमन’ विषय पर पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संकाय विकास कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
एफडीपी को इरास्मस$ क्रेडिट मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत यूरोपीय संघ के सहयोग से आयोजित किया गया है।
डिकल यूनिवर्सिटी, तुर्की के प्रतिष्ठित संकाय सदस्य डॉ. बेहान इपेक्यूज, डॉ. गुले याल्सिन, डॉ. फेरत काया और फिदान डोगन, डिप्टी प्रो वीसी एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ विंग कमांडर डॉ. अनिल तिवारी, कार्यवाहक निदेशक, एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी डॉ. ओपी सिंह एवं डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर (डॉ.) राजेश तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने एफडीपी के लक्ष्यों और उद्देश्यों से प्रतिभागियों को परिचित कराया।
कार्यक्रम में देश- विदेश से आए संकाय प्रतिनिधियों का स्वागत प्रोफेसर (डॉ.) ओपी सिंह ने किया। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए विंग कमांडर (डॉ.) अनिल कुमार ने आज की दुनिया में टिकाऊ इंजीनियरिंग के महत्व को समझाया। प्रोफेसर (डॉ) राजेश तिवारी ने प्रतिनिधियों को बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भी विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के मुख्य वक्ता डॉ. सुधाकर शुक्ला ने रिमोट सेंसिंग और इसके अनुप्रयोगों के महत्व को समझाया, उन्होने खासकर सिविल इंजीनियरिंग में रिमोट सेंसिग के उपयोग और महत्व पर प्रकाश डाला।
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग से प्रोफेसर विभूति राय ने जल संसाधनों और उनके संरक्षण पर एक अपना व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि धरती पर पेयजल एक सीमित मात्रा में ही है। इसके अंधाधुंध और अनावश्यक दोहन ने विश्व के कई हिस्सों में जल संकट पैदा कर दिया है।
कार्यक्रम में आने वाले दिनों में, सनवे यूनिवर्सिटी, मलेशिया के प्रोफेसर (डॉ) खालिद मोहम्मद सहित कई प्रतिष्ठित वक्ता भी संबोधित करेंगे।
उद्घाटन सत्र के समापन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख कर्नल विवेक माथुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।