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वैज्ञानिकों ने हाल में सौर तूफान की चेतावनी जारी की है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर एक बड़ा सौर तूफान आने वाला है. इससे धरती पर काफी बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जैसे मोबाइल, कंप्यूटर और संचार प्रणाली तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. आपको बता दें कि भारत सूर्य की मैपिंग और भारत पर सौर एक्टिविटी लद्दाख से मॉनिटर करता है. क्या इसका असर भारत पर भी पड़ने वाला है? जानना जरूरी है.
वैज्ञानिकों ने बताया कि अक्टूबर 2024 की शुरुआत धमाकेदार तरीके से हुई. सूर्य की सतह से दो बड़े सौर फ्लेयर्स फूटे. इनको कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहत हैं, जो सीधे पृथ्वी की ओर बढ़ गए हैं. वैज्ञानिकों ने इनका नाम X7 और X9 दिया है. ये सौर फ्लेयर्स काफी महत्वपूर्ण हैं. X9 फ्लेयर तो पिछले सात सालों में सूर्य से फूटने वाला सबसे शक्तिशाली फ्लेयर है. यह दक्षिण अटलांटिक और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अस्थायी रूप से संचार ब्लैकआउट भी कर सकता है.
पहले सौर तूफान/प्लेयर्स के बारे में जान लें
सौर तूफान, सूर्य द्वारा सौरमंडल में प्रक्षेपित कणों, ऊर्जा, चुंबकीय क्षेत्रों और पदार्थों का अचानक विस्फोट है. आने वाला सौर तूफान दूरसंचार और उपग्रहों को बाधित कर सकता है. भारतीय वैज्ञानिक इस पर नजर रख रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विशेषज्ञों ने कहा है कि उन्होंने भारतीय उपग्रह संचालकों को सभी एहतियात बरतने के लिए कहा है. अगले कुछ दिन पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि तूफान नीले ग्रह की ओर बढ़ रहा है।
सूर्य का X9 पृथ्वी पर सौर कणों की बारिश करेगा
स्पेस वेदर वेबसाइट और कई विशेषज्ञों का मानना है कि X9 सीएमई से सौर कण आज रविवार, 6 अक्टूबर को पृथ्वी से टकरा सकता है. इस वीकेंड मैग्नेटोस्फीयर में एक बड़े तूफान के टकराने की संभावना है. इस तूफान के जियोमैग्नेटिक तूफान या स्ट्रोम (G3) कहा जाता है. G3 तूफान धरती के चक्कर काट रहे उपग्रहों में मामूली व्यवधान पैदा कर सकता है और कम आवृत्ति वाले रेडियो और नेविगेशन सिस्टम के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं.
खतरनाक तूफानों से बचाते हैं
वहीं, जियोमैग्नेटिक स्ट्रोम से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में एक बड़ी गड़बड़ी पैदा हो सकता है. यह रेडियो ब्लैकआउट, बिजली की कटौती और उत्तरी गोलार्ध में अरोरा (आसमान से रंग विरंगे लाइट शो) प्रभाव पैदा कर सकता है. हालांकि, ये पृथ्वी पर किसी को भी प्रत्यक्ष रूप से नुकसान नहीं पहुंचाते, क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल हमें इन सबसे खतरनाक तूफानों से बचाता है.
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