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*मां को समर्पित रहा माण्डवी स्मृति सम्मान एवं काव्यांजलि समारोह* ‘मां दूध है ममता बनकर रंगों में बहती है’…..

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लखनऊ, : :  माण्डवी फाउण्डेशन के तत्वावधान में वाल्मीकि रंगशाला गोमतीनगर में आयोजित माण्डवी स्मृति सम्मान एवं काव्यांजलि समारोह मातृशक्ति के नाम रहा।
यहां मां को समर्पित कविताओं की गूंज रही।
माण्डवी सिंह की सातवीं पुण्य तिथि पर आयोजित दुर्गेश पाठक के संचालन में चले समारोह में फाउण्डेशन की अध्यक्ष डा.सुनीता सिंह ने फाउण्डेशन के कार्यों से परिचित कराते हुए अपनी मां माण्डवी को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही पद्मश्री विद्या विंदु सिंह, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रमेश मिश्र, विशिष्ट अतिथि सत्या सिंह, लोक कलाकार कविता पाठक, समाजसेवी डा.हर्षवर्धन अग्रवाल, कवयित्री डा.अनुराधा अन्वी, समाजसेवी नीशू त्यागी, कवयित्री रमा सिंह और जलालपुर पंचायत अध्यक्ष नीरज प्रताप सिंह को अंगवस्त्र, पुष्प और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। रमेश मिश्र ने कहा कि हमें अपने बच्चों के नाम गूगल देखकर फैशन में पड़कर अपनी परम्परा, इतिहास और संस्कृति के हिसाब से रखने चाहिए।
डा.विद्या विंदु सिंह ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम संदेश देते हैं कि मां के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है। मां पर रचना पाठ करते हुए पढ़ा- मां दूध है ममता बनकर रंगों में बहती है।…. मां एक आंगन है जिसमें खेलते झगड़ते बच्चे बड़े होते हैं। रमा सिंह ने- हे मां तुम्हें वंदन रचना का पाठ किया। डा.अनुराधा पाण्डेय अन्वी ने बीच रचना में मां पर कहा- निराशा और उदासी में जो याद तुम्हारी आयेगी, गहन अंधेरे छंट जाएंगे राह नहीं खुल जायेगी। सत्या सिंह ने सुनाया- दुआएं भरकर के आंचल में ओढ़ा देती है जब भी मां, मुझे फिर दर्द घावों में नहीं आभास होता है। कविता पाठक ने कहा कि मां के बिना हमारा आस्तित्व ही नहीं। अंकिता ने मुनव्वर राणा का शेर- मैंने जन्नत तो नहीं देखी मां देखी है। इस अवसर पर एक प्रकाशन की ओर से प्रतिनिधि निहाल सिंह ने सभी को जूट बैग उपहार में दिये।

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