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…साहित्य की शक्ति…

✍️साहित्य की शक्ति ✍️

साहित्य में जो शक्ति है,
न तोप और तलवार l
यूरोप में लगा था,
रूढ़ियों का अम्बार ll

स्वतंत्रता का बीज,
साहित्य ही बोता है l
पतित देशों का उद्धार,
साहित्य से ही होता है ll

पॉप की प्रभुता को,
साहित्य ने ही हराया था l
फ़्रांस में प्रजा की सत्ता को,
साहित्य ने ही बढ़ाया था ll

साहित्य की सेवा करना ही,
सबसे बड़ा धर्म होता है l
साहित्य से ही द्वेष – भाव,
सदा जड़ से ही खोता है ll

साहित्य का प्रेमी नहीं जो,
वह देशद्रोही होता है सदा l
जातिद्रोही, समाजद्रोही,
आत्मद्रोही ही होता सदा ll

साहित्य में वह शक्ति है,
मुर्दे को जिन्दा कर सके l
साहित्य की ही शक्ति से,
दुष्टों की निंदा कर सके ll

साहित्य ने ही भारत को,
पूर्ण स्वाधीन कराया था l
उन्नीस सौ सैंतालिस से पूर्व,
जिसे पराधीन पाया था ll

पंद्रह अगस्त सैंतालिस को,
भारत आजाद हो गया l
बीर सपूतों के बलिदान से,
भारत आबाद हो गया ll

डॉ. बिश्वम्भर दयाल अवस्थी
शिक्षक एवं साहित्यकार…

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