***जेडीन्यूज़ विज़न ***
_हम अपने भीतर और अपने आस-पास के लोगों में दिव्यता का एहसास करने में असफल क्यों होते हैं? भगवान आज प्रेमपूर्वक हमारी ओर इशारा करते हैं और हमें प्रोत्साहित करते हैं।_
अपने भीतर की दिव्यता को महसूस करने में असमर्थता का क्या कारण है? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमें इसका एहसास नहीं होता कि यह किस गंदे आवरण में लिपटा हुआ है। अगर हमारे कपड़े गंदे हो जाते हैं तो हम उन्हें बदल लेते हैं क्योंकि गंदे कपड़ों में दिखने में हमें शर्म आती है। अगर हमारा घर गंदा है तो हम उसे साफ करने की कोशिश करते हैं ताकि आने वालों पर बुरा प्रभाव न पड़े। लेकिन जब हमारा मन और हृदय प्रदूषित हो जाता है, तो हमें शर्म नहीं आती!
क्या यह अजीब नहीं है कि हमें अपने कपड़ों और घरों की सफ़ाई के बारे में इतना चिंतित होना चाहिए, लेकिन अपने दिल और दिमाग की पवित्रता के बारे में चिंतित नहीं हैं जो हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं? अपने दिल और दिमाग को शुद्ध करने के लिए सबसे पहली चीज़ जो हमें करनी चाहिए वह है धार्मिक जीवन जीना। हमारे कार्य नैतिकता पर आधारित होने चाहिए।
दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करना या उन्हें पीड़ा पहुँचाना मानव स्वभाव का लक्षण नहीं है। हम दूसरों के साथ जो बुराई करते हैं उसका परिणाम अंततः हम पर ही पड़ता है!
– भगवान श्री सत्य साईं बाबा जी द्वारा दिव्य प्रवचन