*** जेडीन्यूज़ विज़न ***
लखनऊ : : कोरोना काल से पहले लगभग हर केन्द्रीय रेल बजट के दौरान आम जनता को नई ट्रेनों का तोहफा मिलता था। लेकिन कोरोना काल के बाद नई ट्रेनों का तोहफा तो दूर, बल्कि लॉकडाउन में बंद की गई तमाम ट्रेनें दुबारा संचालित तक नहीं हो सकी हैं। इसमें लखनऊ- कानपुर के बीच चलने वाली मेमू ट्रेनें खास हैं। जिसमें कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन में लखनऊ – कानपुर के बीच बंद हुई 10 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों में से करीब 60 फ़ीसदी ट्रेनें अब तक नहीं चालू हो सकी हैं। इनके न चालू होने से जहां नौकरी – पेशा और मजदूरों को आने जाने में तमाम दिक्कतें हो रही हैं। वहीं छात्र-छात्राओं को भी समय से स्कूल कॉलेज पहुंचने में आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बताते चलें कि कोरोना काल से पहले लखनऊ- कानपुर के बीच थोड़ी -थोड़ी देर में 8 जोड़ी मेमू ट्रेनों के अलावा लखनऊ- फर्रुखाबाद और लखनऊ- झांसी पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता था। इन्हीं ट्रेनों के जरिए हरौनी, पिपरसंड, अमौसी, जैतीपुर, कुसुंभी, अजगैन, सोनिक, उन्नाव और मगरवारा आदि से लोग लखनऊ व कानपुर आते – जाते थे। इन ट्रेनों में अधिकतर वह लोग सफर करते थे, जो लखनऊ या कानपुर के अलावा अमौसी औद्योगिक क्षेत्र स्थित कंपनियों में मजदूरी करते हैं। साथ ही लखनऊ और कानपुर शहरों में सरकारी नौकरियों के अलावा प्राइवेट प्रतिष्ठानों में भी काम करने वाले दैनिक यात्री प्रतिदिन इन ट्रेनों से ही आते जाते थे। इसके अलावा लखनऊ, उन्नाव और कानपुर शहरों के कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का भी इन्हीं ट्रेनों से आना जाना था। उस दौरान पैसेंजर ट्रेनों के जरिए राजधानी लखनऊ आने – जाने के लिए मानक नगर, अमौसी, पिपरसंड और हरौनी रेलवे स्टेशन का सिर्फ 10 रुपये किराया था। लेकिन बीते दिनों करीब 3 वर्ष पहले कोरोना कॉल के दौरान लॉक डाउन के तहत यह सारी ट्रेनें बंद कर दी गईं। जिसकी वजह से इन लोगों को अपनी नौकरी -पेशा, मजदूरी और पढ़ाई के लिए आने जाने में दिक्कतें खड़ी हो गईं। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि हरौनी क्षेत्र के स्थानीय लोगों की काफी मांग के बाद बड़ी मुश्किल से लखनऊ – कानपुर के बीच बीते दिनों 3 जोड़ी मेमू ट्रेनों का संचालन तो शुरू कर दिया गया। लेकिन इनका किराया 10 रूपये के बजाय रेल विभाग 30 रुपये वसूलने लगा। जबकि यह ट्रेनें हर स्टेशन पर रुक कर पैसेंजर के रूप में ही चल रही हैं, मगर इसके बावजूद रेल विभाग द्वारा इन ट्रेनों का एक्सप्रेस नाम देकर उसके नाम पर यात्रियों से अधिक किराया वसूला जा रहा है। अब आलम यह है कि जब लखनऊ कानपुर के बीच 10 जोड़ी ट्रेनें अप – डाउन के रूप में चलती थी, तब इन ट्रेनों में आने जाने वालों की भारी भीड़ रहती थी। मगर अब अधिक किराया होने के कारण सिर्फ 3 जोड़ी मेमू ट्रेनों में भी यात्री सफर करने से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि इस समय ज्यादातर यह ट्रेने खाली ही चल रही हैं। अधिक किराया और समय से ट्रेन ना होने के कारण ज्यादातर लोग अधिक किराया खर्च कर सड़क मार्ग से ही जाने पर विवश हैं।