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अखंड भारत के निर्माता थे चक्रवर्ती सम्राट अशोक –डॉ उमेश शर्मा ***

***जेडीन्यूज़ विज़न ***

आगरा : :-सम्राटों के सम्राट, महान चक्रवर्ती, जिसका साम्राज्य अखंड भारत में फैला, वीरों के वीर, विश्व विजेता, भारतीय राष्ट्रीय गौरव, अखंड भारत के निर्माता, भारतीय सभ्यता, संस्कृति को विश्व सभ्यता, संस्कृति बनाने वाले, प्रियदर्शी व देवानांप्रिय जैसे उपमाओं से अलंकृत, मानवता के प्रतिबिम्ब, विश्व प्रसिद्ध सम्राट एवं शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य के नायक महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य की जयंती 8 अप्रेल को बीजेपी ने विहार में मनायी थी। इस अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

डॉ उमेश शर्मा ने इस अवसर पर महान सम्राट अशोक जयंती की सभी लोगों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देते हुये बताया कि सम्राट अशोक यूं ही महान नहीं बन गये। वह प्रजा-कल्याण मे रूचि रखते थे। वह अपनी प्रजा को संतान मानते थे। मौर्य सम्राट अशोक के आर्दश, धर्म, लोकहित, लोकसेवा तथा धम्म की सम्पूर्ण विशेषताओं के साथ- साथ उसकी विजय, उसका शासन और कला प्रेम आदि सभी कुछ महान था। बताया जाता हैं कि सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई, जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे! इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे। सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं। सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी। सम्राट के शासन काल में सबसे प्रख्यात महामार्ग “ग्रेड ट्रंक रोड” जैसे कई हाईवे बने, २,००० किलोमीटर लंबी पूरी सडक पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए। सरायें बनायीं गईं। मानव तो मानव, पशुओं के लिए भी प्रथम बार चिकित्सा घर खोले गए। पशुओं को मारना बंद करा दिया गया। जानकारी के अनुसार सम्राट अशोक के पिताजी का नाम – बिन्दुसार, माताजी का नाम – सुभद्राणी था। उनका जन्म१४ अप्रैल जन्म वर्ष ३०२ ई पू व राजतिलक – २६८ ई पू देहावसान – २३२ ई पू में हुआ था।

बताया जाता हैं कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था! बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था! और वापस लौटना पड़ा था । इसलिए मौर्य सम्राट अशोक को सभी शासकों मे महान कहा जाता है। इसीलिए सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं। सम्राट का राज चिन्ह “अशोक चक्र” भारतीय अपने ध्वज में लगते है। सम्राट का राज चिन्ह “चारमुखी शेर” को भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाते हैं, और “सत्यमेव जयते” को अपनाया है और देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर “अशोक चक्र” दिया जाता है। इसीलिए चक्रवर्ती सम्राट अशोक अखंड भारत के निर्माता थे।

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