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श्याम संगीत सृजन संस्थान द्वारा आनलाईन संगीत कार्यक्रम में  जगदीश प्रसाद देशमुख जी का किया गया स्वागत सम्मान …

Jdnews Vision.

* देशमुख जी सत्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत किए गए हैं।*

*विश्व संगीत प्रशिक्षण पाठशाला में शामिल संगीत साधिकाएं बहनों द्वारा सांगीतिक मधुर स्वरों से जब श्री देशमुख जी का स्वागत अभिनन्दन किया गया तब  देशमुख जी भावविभोर हो गये।*

* देशमुख जी द्वारा समूह में शामिल संगीत साधिकाओं की भूरि भूरि प्रसंशा करते हुए नित्यप्रति आगे बढ़ने का आशीर्वचन प्रदान कर सृजन संस्थान का आभार व्यक्त किया गया।*

*सक्ती छत्तीसगढ़: : भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास हेतु स्थापित श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती द्वारा विश्व संगीत पाठशाला में आनलाईन संगीत प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के सम्माननीय मानस प्रेमी बंधुओं द्वारा प्रदेश के 24 मानस मर्मज्ञों का सम्मानपूर्वक एक कला संस्कृति संगठन तैयार किया गया है, सत्य सनातन धर्म रक्षार्थ हेतु इस संगठन का नाम “श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ है। इस संगठन में श्री जगदीश प्रसाद देशमुख जी प्रांतीय अध्यक्ष एवं संगीतज्ञ-  श्याम कुमार चन्द्रा जी प्रांतीय उपाध्यक्ष मनोनीत किए गए हैं।
इस प्रतिष्ठान के प्रांतीय अध्यक्ष  जगदीश प्रसाद देशमुख जी द्वारा प्रांतीय उपाध्यक्ष संगीतज्ञ-  श्याम कुमार चन्द्रा जी को बिलासपुर संभाग के संभागीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।
संभागीय अध्यक्ष संगीतज्ञ-  श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सर्वप्रथम 03 दिसम्बर को सक्ती जिला के सभी विकासखंडों में कला विकास‌‌‌ अध्यक्षों का मनोनयन कर उन्हें प्रांतीय संगठन में शामिल करने नाम प्रेषित किया गया, जिन्हें प्रांतीय अध्यक्ष श्री देशमुख जी द्वारा सहर्ष स्वीकार कर लिया गया है।

श्याम संगीत सृजन संस्थान के संस्थापक व अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा संचालित आनलाईन संगीत कार्यक्रम में दिनांक 04 दिसम्बर को “आज के हमारे खास मेहमान” के रूप में प्रांतीय अध्यक्ष  जगदीश प्रसाद देशमुख जी को आमंत्रित कर विश्व संगीत पाठशाला में शामिल प्रबुद्ध संगीत साधिकाओं द्वारा हार्दिक स्वागत अभिनन्दन किया गया, जिससे श्री देशमुख जी भावविभोर हो गये।

इस अवसर पर श्री देशमुख जी ने कहा सत्य सनातन धर्म के प्रचार- प्रसार एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचन्द्र जी की अमृतमय कथा के साथ ही साथ जब संगीतमय मानस गायन होता है तो सोने पे सुहागा वाली बात हो जाती है,  देशमुख जी ने पाठशाला में शामिल प्रबुद्ध संगीत साधिकाओं की भूरि-भूरि प्रसंशा करते हुए उन्हें हार्दिक आशीर्वचन प्रदान कर प्रतिष्ठान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

देशमुख जी ने बहुत पुरानी बातें स्मरण करते हुए कहा कि आदरणीय श्याम भइया जी को मैं 40 वर्ष पहले से ही जान रहा हूं, सन् 1985-86 से अच्छी तरह परिचित हूं, उस समय इनके ग्राम पंचायत घोघरी के हाईस्कूल में मैं अंग्रेजी विषय का लेक्चर था तबसे इनके युवा काल की कला प्रतिभा को भी देखा सुना हूं, हारमोनियम पर इनकी उंगलियों का थिरकना और मुख से श्रीराम भजन का गाना सुनना मुझे आज तक याद है उसके बाद श्री श्याम भइया जी द्वारा कला विकास यात्रा के दौरान गंगा मइया मंदिर ट्रस्ट झलमला बालोद द्वारा अयोध्या धाम प्रांगण में आयोजित अंतर्राज्यीय रामायण मेला में इनके द्वारा प्रस्तुत संगीतमय मानस गायन को मुझे अनेकों बार सुनने देखने का अवसर मिला है वहीं आपके सृजन बालिका मानस परिवार शिष्य मंडली द्वारा प्रस्तुत मानस गायन को भी मैंने अच्छी तरह से देखा सूना है, क्योंकि उस समय मैं बालोद के उस रामायण मेला के भव्य मानस मंच का वरिष्ठ उद्घोषक प्रवक्ता हुआ करता था, मुझे यह भी याद है कि आपकी बालिका मानस मंडली द्वारा प्रस्तुत मानस गायन को मानस मोदकधर नाम का प्रथम सम्मान प्राप्त हुआ था।
उतने दिन के बाद मुझे आज फिर से आपके शिष्य मंडली द्वारा प्रस्तुत संगीतमय गायन सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है, आज इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे एक अप्रतिम उल्लास की अनुभूति हुई, मुझे लगता है कि आपके शिष्य मंडली में शामिल इन संगीत साधिकाओं बहनें द्वारा प्रस्तुत सुमधुर गायन से आपके सभी सृजनात्मक कार्यक्रम मधुमय सफल हो सकता है,इस अवसर पर  देशमुख जी द्वारा विश्व संगीत पाठशाला में शामिल सभी संगीत साधिकाओं को श्री तुलसी मानस प्रतिष्ठान में भी शामिल होने के लिए सस्नेह आमंत्रित किया गया।

उन्होंने प्रतिष्ठान के कार्यों और उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि आज के इस संत्रास और कोलाहलपूर्ण युग में हम पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय एवं हमारे लोक जीवन में राम कथा के आदर्श भाव को कैसे ज्यादा से ज्यादा उतार पायें, इस दिशा में व हमारे जीवन की समग्रता में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचन्द्र जी के आदर्श, नैतिकता और मानवीय चरित्र का निर्माण ज्यादा से ज्यादा धारण हो सके एक विनम्र प्रयास है।

उन्होंने सृजन संस्थान द्वारा आयोजित इस आनलाईन सृजनात्मक कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए इस क्षेत्र व संभाग से अधिकाधिक सहभागिता निभाएं जाने और सफलता प्राप्त हेतु सतत् प्रयास सुनिश्चित किए जाने का अनुरोध किया।

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